सन्देह में फादर रोशन जैसे भी थे?

गजरौला। यह भले ही नहीं पता चल पा रहा कि नन बलात्कार जैसे वीभत्स काण्ड के पीछे कौन तत्व थे लेकिन इससे ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाये जा रहे समाज सेवा के कार्यों में कई ऐसे तत्व घुसपैठ कर गये हैं जो धर्म की आड़ में व्यभिचार करने से बाज नहीं आते। नन बलात्कार काण्ड से इस तरह की आशंकाओं से पर्दा हट गया है। मेरे कहने का यह तात्पर्य बिल्कुल नहीं कि नन बलात्कार काण्ड में कोई न कोई ईसाई धर्म गुरु या धर्मोपदेशक अथवा पादरी शामिल था। लेकिन इस घटना में दोनों पीडि़त ननों की चिकित्सा रिपोर्ट ने ऐसा होने की ओर स्पष्ट संकेत ही नहीं किया बल्कि इसका सीधा रहस्योदघाटन ही कर दिया था। इस रिपोर्ट में एक नन को संभोग की आदि बताया गया है। जब ननें एक साथ रहती हैं और बाजार आदि में सामूहिक रुप से जाती हैं। वे कभी भी अपने आवास अथवा संस्था से बाहर किसी भी पुरुष से अकेले नहीं मिल पातीं तो ऐसे में उनमें से यदि कोई नन शारीरिक संबंध बनाती है तो संस्था का ही कोई पुरुष पदाधिकारी ऐसा करने में सफल हो सकता है। इस बात का यह तथ्य और भी मजबूती प्रदान करता है कि नन को इस सीमा तक पहुंचा दिया कि वह संभोग की आदि हो गयी। लम्बे समय तक संस्था के किसी पुरुष के संसर्ग के पश्चात ही यह संभव है।

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  एक चीज और संस्था के पुरुष कर्मियों या धर्माचार्यों को कटघरे में खड़ा करती है, वह है कम उम्र की पीडि़त नन की संदिग्ध मौत। इस नन की मौत घटना के एक माह बाद या उससे कुछ दिन अधिक बाद हुई थी। स्कूल की ओर से बताया गया कि उसने ग्लानिवश अपना सतीत्व नष्ट होने को बर्दाश्त न करने के कारण आत्महत्या कर ली। इसे आत्महत्या के बजाय हत्या बताने वालों की भी कमी नहीं। उनका तर्क है कि यदि आत्महत्या करती तो घटना के बाद वह पहले ही कर चुकी होती। उसे अदालत में बयान देने को भी नहीं ले जाया गया। इसमें यह सवाल भी उठता है कि दूसरी नन के साथ कहीं उन्हीं लोगों ने इस नन को उसी के रास्ते पर चलाने का प्रयास तो नहीं किया और विरोध करने पर उसके साथ यह घृणित कार्य उसे डरा धमकाकर किया गया हो।
  इस संस्था तथा इससे जुड़ी बिजनौर जनपद की एक अन्य संस्था के पदाधिकारी फादर रोशन के रवैये से भी इन संस्थाओं में पुरुष वर्ग द्वारा नारी उत्पीड़न की घटनाओं का प्रमाण मिलता है। इस दुखद और बर्बर काण्ड के बाद फादर रोशन यहां रात में रुका था। उसने शराब का सेवन करने के बाद काफी हुड़दंग मचाया था। ननों के साथ अभद्रता की खबर भी यहां फैली थी। बाद में उसे पंजाब स्थानांतरित कर दिया गया था। एक दैनिक में तब इस खबर का शीर्षक था -‘हुड़दंगी फादर को पंजाब भेजा।’ जैसा अन्न वैसा मन कहावत के मुताबिक यहां के धार्मिक कर्मी और पादरी शराब और मांस का सेवन जमकर करते हैं। अतः यह भी एक वजह हो सकती है कि वे भटकाव का मार्ग पकड़ लेते हों।
  हाल ही में टेलीविजन चैनलों पर विश्व के जाने माने एक पादरी ने खुद स्वीकार किया कि कई सौ पादरी बच्चों तक का यौन शोषण कर रहे हैं। गजरौला के लोग मांग करते हैं कि 24 वर्ष पूर्व जुलाई की रात की घटना के असली दोषियों के नाम उजागर किये जायें और सेंट मैरी कान्वेंट स्कूल जैसी पवित्र शिक्षण संस्था से सम्बद्ध ईसाई धर्माचार्यों के कार्य व्यवहार की भी समीक्षा हो तो बेहतर होगा।

-टाइम्स न्यूज.