गजरौला। रेलवे फाटक सी-45 के निकट बसी आबादी के निवासी फाटक बन्द होने के बाद पुलिस आवागमन भी बन्द होने से स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि रात में यहां चोरों की गतिविधियों का खतरा बढ़ गया है। सभासद हरीशचन्द ने बताया कि उनके मकान की छत पर रात में एक अज्ञात चढ़ गया था जिसे ललकार कर भगाया। सुबह को पता चला कि पड़ोस के एक घर में चोरी हो गयी थी। उनका कहना है कि फाटक बन्द होने से पूर्व यहां पुलिस का आवागमन रात में भी बना रहता था जिससे नागरिक बेखौफ चैन की नींद सोते थे।
इसी मोहल्ले के निवासी रिटायर फार्मेसिस्ट बुद्धि सिंह का कहना है कि यहां अधिकांश निचले तबके के लोग हैं। साथ ही मांस की दुकानें भी हैं। काटे गये पशुओं के अनावश्यक भाग रेलवे किनारे भरे पानी में पड़े सड़ते रहते हैं जिन्हें कुत्ते और कव्वे इधर-उधर फेंक कर वातावरण को और भी दूषित करते हैं। इससे यहां दुर्गंध फैलती है। लोग बेहद परेशान हैं।
गौरतलब है कि नामित सभासद जिताम्बर यादव व हरीश चन्द ने नगर पंचायत प्रशासन से मांग की थी कि मांस की दुकानों पर पर्दे लगवाये जायें तथा सफाई का उचित प्रबंध हो लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि इस क्षेत्र की गरीब आबादी के इलाके में सफाई करने वाले भी कभी-कभी ही आते हैं। रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूरों के आवासों के पास बरसात में गंदगी सड़ने से महामारी की आशंका है। स्वास्थ्य विभाग भी इधर नहीं झांकता। एक-दो मौतों के बाद विभागीय अफसरों की नींद टूटती है।
इसी मोहल्ले के निवासी रिटायर फार्मेसिस्ट बुद्धि सिंह का कहना है कि यहां अधिकांश निचले तबके के लोग हैं। साथ ही मांस की दुकानें भी हैं। काटे गये पशुओं के अनावश्यक भाग रेलवे किनारे भरे पानी में पड़े सड़ते रहते हैं जिन्हें कुत्ते और कव्वे इधर-उधर फेंक कर वातावरण को और भी दूषित करते हैं। इससे यहां दुर्गंध फैलती है। लोग बेहद परेशान हैं।
गौरतलब है कि नामित सभासद जिताम्बर यादव व हरीश चन्द ने नगर पंचायत प्रशासन से मांग की थी कि मांस की दुकानों पर पर्दे लगवाये जायें तथा सफाई का उचित प्रबंध हो लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि इस क्षेत्र की गरीब आबादी के इलाके में सफाई करने वाले भी कभी-कभी ही आते हैं। रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूरों के आवासों के पास बरसात में गंदगी सड़ने से महामारी की आशंका है। स्वास्थ्य विभाग भी इधर नहीं झांकता। एक-दो मौतों के बाद विभागीय अफसरों की नींद टूटती है।
-टाइम्स न्यूज.