शिरडी के साईं बाबा को लेकर एक शंकराचार्य के बयान पर देश के कुछ हिन्दु भक्तों और धमाचार्यों में विवाद उत्पन्न हो गया है। देखने में आया है कि जहां अनेक ऐसे लोग हैं जो शिरडी के इस फकीर को भगवान तक मानने लगे वहीं सनातन धर्मी हिन्दुओं का एक बड़ा वर्ग उन्हें एक मामूली व्यक्ति से अधिक कुछ भी स्वीकार करने तक को तैयार नहीं। शंकराचार्य ने तो यहां तक कहा है कि हिन्दु मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटवाई जायेंगी। उन्होंने साईं बाबा की पूजा करने वालों को गंगा में स्नान तक न करने की नसीहत दी है। इससे साईं भक्तों में रोष व्याप्त है तथा वे शंकराचार्य के खिलाफ मैदान में हैं।
जो आदमी जीवन भर एक वक्त के भोजन के लिए घर-घर लोगों के घरों और राह गुजरते लोगों से भीख की याचना करता-करता संसार से चल बसा, फिल्म वालों ने उसकी मृत्यु के बाद ‘शिरडी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली’ जैसी कव्वाली तैयार कर यह प्रचार कर दिया कि साईं बाबा के पास सबकुछ है.
यह हम सभी जानते हैं कि ईश्वर एक है जबकि संसार में लोग अपने-अपने ईंश्वर की पूजा करते हैं। लोगों की आस्थायें भी अलग-अलग हैं। ऐसे लोगों की संख्या हमारे देश में सबसे अधिक है जो भगवान के धोखे में ऐसी बहुत सी चीजों की पूजा करने चल पड़ते हैं जो भगवान नहीं हैं। यहां पेड़ों, पौधों, पशु-पक्षियों और पत्थरों तक को सदियों से ईश्वर मानकर उनकी पूजा करते आ रहे हैं। मरने के बाद यहां आसान आमदनी के तरीके के तौर पर अनेक ऐसे लोगों को भगवान बनाकर पूजा स्थलों में रख दिया जो लोग जीते जी अपना पेट भरने का जुगाड़ नहीं कर पाये। उनके नाम से बने पूजा स्थलों और कब्रों पर लोग मनोकामनायें पूरी करने की उनसे भीख मांगते देखे जा सकते हैं। यही हाल शिरडी के साईं बाबा का है। वह जीते जी घोर अभावों और जनता में धिक्कार का जीवन जीते हुए किसी को कुछ न दे सके बल्कि किसी तरह दूसरों के टुकड़ों पर पलते हुए सांसें पूरी करते हुए संसार से विदा हुए। कुछ लोगों ने मरने के बाद उन्हें महापुरुष घोषित कर दिया।
फिल्म निर्माताओं की कल्पनाओं की उड़ान बहुत लम्बी होती है। उन्होंने एक नया चरित्र घड़कर जो स्क्रिप्ट तैयार की उसने इस फकीर को भगवान का अवतार बनाकर रख दिया। जो आदमी जीवन भर एक वक्त के भोजन के लिए घर-घर लोगों के घरों और राह गुजरते लोगों से भीख की याचना करता-करता संसार से चल बसा, फिल्म वालों ने उसकी मृत्यु के बाद ‘शिरडी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली’ जैसी कव्वाली तैयार कर यह प्रचार कर दिया कि साईं बाबा के पास सबकुछ है।
वास्तव में जितना धार्मिक पाखण्ड और अंधविश्वास फिल्मों ने बढ़ाया है उतना ही यहां टीवी चैनलों ने भी इसमें मदद की है। कपोल कल्पित कहानियां घड़कर जो सामग्री पेश की जा रही है उससे हमारे समाज में बहुत गलत संदेश जा रहा है।
आजाद भारत में हमारे देश में किसी क्षेत्र में इतनी तरक्की नहीं हुई जितनी नये-नये भगवान पैदा होने में। चारों ओर एक से एक चमत्कारिक भगवान, भगवान के भाई, दोस्त और महात्मा पैदा हो गये हैं। कहते हैं कि अकेला ईश्वर समस्त ब्रहमाण्ड का निर्माता, संचालक और पोषक है लेकिन हमारे देश में कदम-कदम पर बैठे हजारों भगवान एक देश का भी भला नहीं कर पा रहे। गरीबी, भ्रष्टाचार और सभी संकटों का तो यहां नामोनिशान भी नहीं होना चाहिए था। कहां चले गये इनके चमत्कार। याद रखो पत्थर का भगवान निर्जीव होता है। निष्क्रिय भगवान को मानने वालों का भला कैसे भला हो सकता है?
-जी.एस. चाहल.
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