लगता है कांग्रेस ने अपने अतीत में की भयावह भूलों से कोई सबक नहीं लिया अथवा बीते लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी कुछ ऐसे तत्वों के भरोसे हो गये हैं जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं।
हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। इस सरकार ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जिससे पंजाब और हरियाणा के बीच टकराव का रास्ता खुल जाये। शिरोमणी गुरुद्धारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर के समानान्तर हरियाणा शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी गठित करने का कानून हरियाणा विधान सभा में पास कराया गया है। यह सिखों में आपसी विभाजन के लिए हरियाणा सरकार की एक सोची समझी साजिश है जिसके खिलाफ केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि देश भर के सिखों में रोष व्याप्त है। दिल्ली में इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर सिखों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। केन्द्र सरकार ने भी इस बिल को गैर कानूनी मानते हुए हरियाणा सरकार से इसे रद्द करने को कहा है जबकि हरियाणा सरकार इससे पीछे हटने को तैयार नहीं।
सिख न तो किसी दूसरे मजहब, धर्म अथवा सम्प्रदाय के धर्म स्थलों के प्रबंधन या संचालन में हस्तक्षेप करते हैं और न ही किसी दूसरे को अपने धर्म के लोगों का अपने धार्मिक रीति रिवाजों में हस्तक्षेप बर्दाश्त करते हैं। ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री सिखों की धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से बाज आयें.
उल्लेखनीय है कि देशभर के सभी एतिहासिक गुरुधामों का संचालन अमृतसर की शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करती है। गुरुद्वारों को होने वाली भारी भरकम आय से उसके समस्त ग्रंथियों और कर्मचारियों का वेतन, सभी जगह जारी लंगर का खर्च, आवासीय सुविधायें, बिजली पानी, शिक्षण संस्थायें, सुविधा सम्पन्न अस्पताल और आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सहायता मुहैया करायी जाती है। ऐसे सैकड़ों गुरुद्वारे हैं जहां 24 घंटे आगन्तुकों को मुफ्त लंगर तथा आवासीय सेवायें उपलब्ध हैं।
हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। इस सरकार ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जिससे पंजाब और हरियाणा के बीच टकराव का रास्ता खुल जाये। शिरोमणी गुरुद्धारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर के समानान्तर हरियाणा शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी गठित करने का कानून हरियाणा विधान सभा में पास कराया गया है। यह सिखों में आपसी विभाजन के लिए हरियाणा सरकार की एक सोची समझी साजिश है जिसके खिलाफ केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि देश भर के सिखों में रोष व्याप्त है। दिल्ली में इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर सिखों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। केन्द्र सरकार ने भी इस बिल को गैर कानूनी मानते हुए हरियाणा सरकार से इसे रद्द करने को कहा है जबकि हरियाणा सरकार इससे पीछे हटने को तैयार नहीं।
सिख न तो किसी दूसरे मजहब, धर्म अथवा सम्प्रदाय के धर्म स्थलों के प्रबंधन या संचालन में हस्तक्षेप करते हैं और न ही किसी दूसरे को अपने धर्म के लोगों का अपने धार्मिक रीति रिवाजों में हस्तक्षेप बर्दाश्त करते हैं। ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री सिखों की धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से बाज आयें.
उल्लेखनीय है कि देशभर के सभी एतिहासिक गुरुधामों का संचालन अमृतसर की शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करती है। गुरुद्वारों को होने वाली भारी भरकम आय से उसके समस्त ग्रंथियों और कर्मचारियों का वेतन, सभी जगह जारी लंगर का खर्च, आवासीय सुविधायें, बिजली पानी, शिक्षण संस्थायें, सुविधा सम्पन्न अस्पताल और आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सहायता मुहैया करायी जाती है। ऐसे सैकड़ों गुरुद्वारे हैं जहां 24 घंटे आगन्तुकों को मुफ्त लंगर तथा आवासीय सेवायें उपलब्ध हैं।
हरियाणा सरकार की नीयत में खोट है। पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपी हुड्डा चाहते हैं कि हरियाणा के गुरुद्वारों को कांग्रेसी कमेटी के अधीन करके उनकी आमदनी पर अपने लोगों का कब्जा कराया जाये। यह उद्देश्य धार्मिक न होकर विशुद्ध राजनैतिक है। दो चार कांग्रेसी सिखों को जिस तरह से इस षड़यंत्र में आगे किया जा रहा है उसे सिख संगत समझ रही है। वह किसी भी हालत में कांग्रेस और उसके पिट्ठुओं का कब्जा तो दूर उन्हें गुरुद्वारों में प्रवेश भी नहीं करने देगी।
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को जरनैल सिंह भिंडरवाले को आगे कर सिखों में विभाजन कराने वाली इंदिरा गांधी के नामसमझी भरे फैसले के परिणामों को एक बार गंभीरता से सोचकर यह दूसरा उससे भी घातक कदम उठाने के लिए भूपेन्द्र हुड्डा को त्तकाल नयी कमेटी गठन को रद्द कराने का निर्देश देना चाहिए।
समस्त सिख समाज एतिहासिक गुरुद्वारों का संचालन अपनी सर्वोच्च धार्मिक अदालत अकाल तख्त के द्वारा सन् 1919 से विधिवत चला रहा है। इसके लिए भारत सरकार ने विधिवत गरुद्वारा एक्ट का प्राविधान देश के संविधान में भी शामिल कर रखा है। इस कमेटी का चुनाव भी समय समय पर भारत निर्वाचन आयोग पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से सम्पन्न कराता है जिसमें समस्त सिख भाग लेते हैं। सिख न तो किसी दूसरे मजहब, धर्म अथवा सम्प्रदाय के धर्म स्थलों के प्रबंधन या संचालन में हस्तक्षेप करते हैं और न ही किसी दूसरे को अपने धर्म के लोगों का अपने धार्मिक रीति रिवाजों में हस्तक्षेप बर्दाश्त करते हैं। ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री सिखों की धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से बाज आयें।
इस सिलसिले को आगे बढ़ने से रोकने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार को सख्ती के साथ कदम उठाना चाहिए। भजनलाल के मुख्यमंत्रित्व काल में चंडीगढ़ को लेकर भी दोनों राज्यों में टकराव कराया था। उसके कुफल से सभी परिचित हैं। मृतप्राय कांग्रेस का यह एक और आत्मघाती कदम है।
जी.एस. चाहल.
-टाइम्स न्यूज.