नन बलात्कार और लूट काण्ड का दोषी कौन?

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गजरौला। लगभग ढाई दशक पूर्व हुए लूट व नन बलात्कार काण्ड का खुलासा हुआ या नहीं, मानवता को शर्मसार करने वाले इस अपराध को करने वाले कौन थे? इन सवालों का जबाव गजरौला के लोगों को अभी तक नहीं मिला। पुलिस, प्रशासन अथवा सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल की प्रधानाचार्य तक इस बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर चरचाओं में आये इस लोमहर्षक और क्रूर काण्ड का खुलासा यहां की जनता चाहती है। क्षेत्र को बदनाम करने वाले इस बड़े अपराध के खुलासे के नाम पर नगर तथा ग्रामांचलों के कई ऐसे लोगों को भी घटना के बाद हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी थी जो सम्मानित तथा सामाजिक लोग थे। इनमें से कुछ को तो खुफिया ऐजेंसियों ने पूछताछ के नाम पर दो-तीन दिनों तक अज्ञात स्थानों पर ले जाकर प्रताडि़त भी किया था। हालांकि उन्हें बाद में ससम्मान रिहा कर दिया। फिर भी ये लोग ढाई दशक के लम्बे अंतराल में दोषियों के बारे में कोई जानकारी न मिलने से हताश हैं। इनका कहना है कि कम से कम गजरौलावासियों को यह तो बताया जाये कि जिनकी करतूतों ने क्षेत्र को बदनाम किया, वे कौन थे तथा इस समय कहां हैं? उन्हें कोई सजा मिली या नहीं।

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  गौरतलब है कि सन् 1990 में जुलाई की 12/13 की रात में यहां सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल में कई लाख की लूट हुई। लुटेरों ने दो ननों के साथ दरिंदगी की और विरोध करने पर प्रधानाचार्या समेत ननों के साथ मारपीट भी की थी।
  इस घटना के विरोध में बारह दिनों तक धरना व प्रदर्शन के बाद लखनऊ तक का प्रशासन हरकत में आया। दरिंदों की गिरफतारी को लेकर राजनैतिक मजमेबाजी का दौर हुआ। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, शिक्षा मंत्री रमाशंकर कौशिक और एक अन्य मंत्री सुखदा मिश्र भी स्कूल में पहुंचे। उन्होंने चार लाख रुपये मुआवजा दिलाया। तथा अपराधियों को शीघ्र पकड़ने का आश्वासन भी दिया था।
  अपराधियों का पता लगाने में विफल पुलिस इधर-उधर हाथ-पांव मारती रही। जिसके बाद यह मामला सीबीसीआइडी को सौंपा गया। उसके एक दशक के बाद कुछ अखबारों में पढ़ा गया कि अलीगढ़ के पास जो बदमाश मुठभेड़ में मारे गये वे नन काण्ड के दोषी थे। जबकि प्रधानाचार्या और घटना के समय मौजूद ननों का कहना था कि वह एक टेप रिकाॅर्डर समेत जो चोरी गया सामान उन्हें दिखाया गया वह उनका नहीं था। उनकी रसीद भी उनके पास थी। लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि मरे हुए बदमाश क्या बोल सकते हैं? जो वे पुलिस को कह गये कि हम नन काण्ड के दोषी थे। कुछ भी हो गजरौलावासी इस गुत्थी का खुलासा चाहते हैं ताकि इलाके का नाम बदनाम न हो।

-टाइम्स न्यूज.