गौशालाओं में भेजे पशु कहां चले जाते हैं?

grazing cow

पतित पावनी गंगा तट पर बसे ब्रजघाट को जहां तीर्थ स्थल स्थान के रुप में ख्याति प्राप्त है वहीं यहां कई सौ गौशालायें भी हैं। यहां हर समय निकट और दूर दराज से श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आवागमन चालू रहता है। इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो गौशालाओं को जी खोल कर दान देते हैं। कुछ स्वेच्छा से तथा कुछ प्रेरित और साथियों के साथ मजबूरी में दान देते हैं। ऐेस में गौशाला संचालकों को धन की कमी नहीं रहती। दूसरी ओर सरकार द्वारा पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से चलाई जा रही इन गौशालाओं को सरकार द्वारा भी भारी भरकम रसद और सहायता मिलती रहती है।
  पुलिस तथा पशु गौरक्षा समितियों और पीपुल फाॅर एनिमल जैसे संगठनों द्वारा पकड़ी गायों, बछड़ों तथा बैलों को भी इन गौशालाओं की सुपुर्दगी में दे दिया जाता है। कुछ ग्रामीण भी अपने गौवंशीय पशु यहां भेज देते हैं।
  पिछले दिनों एक जांच में यह प्रकाश में आया कि इन गौशालाओं की सुपुर्दगी में दिये पशु गायब पाये गये जिनका कोई रिकाॅर्ड उपलब्ध नहीं हुआ। इस बात के संकेत मिले थे कि ये पशु गौशालाओं से पशु वध शालाओं और पशु तस्करों के हवाले कर मोटी धनराशि वसूली गयी। लोग यह देखकर हैरान हैं कि बार-बार पशु गौशालाओं में भेजे जा रहे हैं और वहां पशुओं की संख्या बढ़ने के बजाय घट रही है। गौशाला संचालक पशुओं के साथ ही उनके नाम पर लिये चन्दे की रकम, उनके लिए आये राशन और दूसरे साधनों को हड़प रहे हैं। ये लोग गौरक्षा के नाम पर गौ-भक्षकों से भी आगे निकल गये हैं। भाकियू नेता कृपाराम राणा और मूलचन्द यादव समेत क्षेत्रीय किसानों ने गौवंश की सुरक्षा के लिए स्थानीय गौशालाओं की जांच की मांग की है।

-टाइम्स न्यूज गढ़मुक्तेश्वर

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