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मंजू चौधरी, ब्लाक प्रमुख |
उन्हें स्वयं बैठक लेनी चाहिए थी। उन्होंने बैठक में न जाकर दो ग्राम विकास अधिकारियों और एक बूढ़े एडीओ को भेजकर वहां विवाद कराया। साथ ही बहाना बनाया गया कि गांव वालों में विवाद के कारण डीलर नियुक्त नहीं हो सका। जबकि मामला पूर्व नियोजित था।
इस तरह चार बार बैठकें की गयीं। सभी में जानबूझकर विवाद का बहाना गढ़ा गया। बाद में ग्राम प्रधान की अनुपस्थति में खेड़की ग्राम के लोगों ने 16 जुलाई को बैठक की लीपापोती कर दी। इसमें ढकिया भूड़ के भी कुछ लोग शामिल थे। इस बैठक में बीडीओ ने स्वेच्छा से राशन डीलर नियुक्त कर दिया।
तत्कालीन जिला गन्ना अधिकारी जिन्हें यहां का बीडीओ का पदभार भी दिया गया थ को ब्लाक प्रमुख मंजू चौधरी ने गांव वालों की उस शिकायत से भी अवगत कराया था कि गांव वाले दूसरे गांव में बैठक नहीं चाहते। वे ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में ढकिया भूड़ के प्राइमरी स्कूल में खुली बैठक में पंचायत कर डीलर का चुनाव चाहते हैं।
ब्लाक प्रमुख ने बीडीओ और एसडीएम को भी गांव वालों के मंतव्य से अवगत कराया था। साथ ही लिख कर दिया था कि ढकिया में 1200 तथा खेड़की में 250 मतदाता हैं। अतः बैठक ढकिया में होनी चाहिए। फिर भी बीडीओ ने बैठक खेड़की में की और वह भी ग्राम प्रधान की अनुपस्थिति में।
यह ग्राम पंचायत और ब्लाक पंचायत जैसी दो संस्थाओं की खुली अवहेलना एक सरकारी अधिकारी द्वारा की गयी है। इससे सरकारी नौकरशाही के सामने क्या लोकतंत्र बौना सिद्ध नहीं होता? यह प्रकरण व्यापक जांच का विषय है।
-टाइम्स न्यूज गजरौला
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