यहां श्री एसिड्स एण्ड कैमीकल्स लि., बैस्ट बोर्ड्स लि., शिवालिक सेल्यूलोज लि., एस.एस. ड्रग्स, सिद्धार्थ स्पिन फैब, रतन बनस्पति, चड्ढा रबर्स, सी.एन.सी. मेटल्स आदि कई औद्योगिक इकाईयां अच्छी हालत में चलने के बावजूद बन्द हो गयीं। जबकि टेवा, रौनक ऐसी स्थिति में हैं जहां प्रबंधन-मजदूर विवाद उन्हें बंदी तक ले जा सकता है। यू.एस. फूड्स बन्द हो गयी है और कोरल न्यूज प्रिन्ट भी बीमार है। केवल जुबिलेण्ट लाइफ साइंसेज लि. के अलावा यहां किसी इकाई का भविष्य उज्जवल नहीं।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस क्षेत्र में उपजाऊ कृषि भूमि थी वहां ऐसी इकाईयां क्यों लगायी गयीं जिनका यह भी पता नहीं था कि वे सफल होंगी भी या नहीं। ऐसा होने से किसानों, मजदूरों, उद्योगपतियों और सरकार सभी को क्षति पहुंचती है। इसी के साथ पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। यहां का हरा भरा जंगल तहस-नहस हो गया है। इससे पशु-पक्षी, चारागाह और प्राकृतिक जलस्रोत भी तबाह हो गये।
जिस क्षेत्र में श्री एसिड्स एण्ड कैमी., यू.एस. फूड्स, सिद्धार्थ स्पिन फैब और रतन वनस्पति थी वहां धन का सबसे अच्छा क्षेत्र है जो पूरी तरह चौपट हो गया। यहां के वृक्षों का सफाया होने से मोर, जंगली कबूतर, गोरैया, कव्वा, घुग्घी आदि पक्षी गायब होते जा रहे हैं।
उद्योग स्थापित होने पर जो युवक उनमें रोजगार पा चुके थे उद्योग बन्द होने पर वे फिर बेरोजगार होकर घर बैठ गये। उन्हें कहीं और भी काम नहीं मिल पा रहा। लेकिन किसानों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
-टाइम्स न्यूज अमरोहा
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