कानून व्यवस्था को तो एडीओ मंगू सिंह से खतरा था

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 मंगू सिंह पुलिस वालों को बहका रहे हैं?..

यह तो सभी जानते हैं कि इस समय पूरे मुरादाबाद मंडल में मामूली सी बातों या छोटे-छोटे विवादों को असामाजिक तत्व बड़े विवादों का रुप देने की फिराक में रहते हैं। साथ ही कई त्योहार लगातार होने से पुलिस और प्रशासन वैसे ही व्यस्त है यदि ऐसे में दो तीन हजार लोगों की भीड़ में झगड़ा हो जाये तो उसका परिणाम कुछ भी हो सकता है। ऐसे में यदि वहां कोई विवादित मामला हो तो संबंधित अधिकारी का उपरोक्त परिस्थितियों में क्या यह दायित्व नहीं बनता कि वह वहां जाने से पूर्व हर बिन्दू पर गंभीरता से मंथन कर ले और उसके बाद वहां सिलसिलेवार इस तरह कार्यवाही करे कि बात न्याय परक हो। जब आप भीड़ में न्यायपरक बात नहीं करोगे तो झगड़ा होना अनिवार्य है।

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मुरादाबाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने मुरादाबाद मंडल में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर नाराजगी जताई है तथा इसके लिए डीएम-कप्तान को सीधा उत्तरदायी ठहराया है। उध्र एडीजे कानून मुकुल गोयल ने भी मुरादाबाद में दंगा-बवाल करने वालों को चिन्हित कर उनको कानून के हवाले करने का आदेश दिया है।

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पुलिस को मंगू से कुछ सवालों के जबाव लेने चाहिएं। यथा वे सबसे पुराने एडीओ हैं और विभाग के अनुभवी अधिकारी हैं तथा इस क्षेत्र में लंबे समय तक नौकरी कर रहे हैं फिर उनकी मौजूदगी में ही विवाद क्यों होता है?


पाल गांव में बड़ा कांड होने से बच गया यह सुखद है लेकिन जितना हुआ उसके लिए एडीओ मंगू सिंह हर तरह उत्तरदायी हैं। भले ही पुलिस कानूनी बाधाओं के चलते ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को मजबूर हो रही है जिन्हें एक ऐसे सरकारी कारकुन ने अपने हथकंडे से फंसा दिया जिसका वह अपने कार्यकाल में न जाने कितनी बार कर चुका होगा।

पुलिस को मंगू से कुछ सवालों के जबाव लेने चाहिएं। यथा वे सबसे पुराने एडीओ हैं और विभाग के अनुभवी अधिकारी हैं तथा इस क्षेत्र में लंबे समय तक नौकरी कर रहे हैं फिर उनकी मौजूदगी में ही विवाद क्यों होता है? ढकिया में भी राशन डीलर विवाद मंगू सिंह के सामने ही क्यों हुआ? सरकारी आदेश का गांव के लोगों को कैसे पता चल गया? तुम्हें क्यों नहीं चला, जबकि तुम अधिकारी हो? तुम बार-बार गजरौला ब्लाक को ही तबादला क्यों कराते हो?

मंगू सिंह से यह भी पूछा जाना चाहिए कि यदि भीड़ में बड़ा बवाल या दंगा हो जाता तो क्या तुम उसकी भरपाई कर देते? वैसे पुलिस तफतीश कानूनी दायरे में ही करेगी लेकिन प्राकृतिक और सामाजिक न्याय की दृष्टि से पाल गांव के प्रकरण में अवैध रुप से राशन की दुकान देने का प्रयास करने वाले एडीओ पंचायत मंगू सिंह की भूमिका अहम है। जांच में मंगू सिंह को शामिल किया जाना चाहिए जिससे इस तरह की भूमिका वाले सरकारी कारकुन भविष्य में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने का प्रयास न करें।

गजरौला टाइम्स न्यूज गजरौला

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