अधिकांश चीनी मिलों ने किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान कर दिया है। मंडी धनौरा और चांदपुर के चीनी मिलों ने पूरा भुगतान कर दिया है। मेरठ मंडल की कुछ चीनी मिलों ने अभी पूरा भुगतान नहीं किया। हो सकता है वे भी जल्दी ही भुगतान कर देंगी।
इस बार गन्ना रकबा घटा है। गन्ना किसानों की उपेक्षा, बिजली की कमी तथा बढ़ते खेती खर्च के कारण फसल भी कमजोर है। इसलिए उत्पादन गत वर्ष से काफी नीचे आयेगा जिससे चीनी का उत्पादन गिरेगा। हो सकता है मिल दो ढाई माह चल कर ही गन्ना खत्म कर दें।
इस बार अभी गन्ना मूल्य पर भी अधिक शोर शराबा नहीं हो रहा। किसान सोच रहा है गन्ना थोड़ा है इसलिए कोई जल्दी नहीं। इसलिए कीमत ठीक मिल सकती है। दूसरी ओर चारा महंगा है। यदि गन्ना सस्ता बिका तो चारे की जगह काट कर पशुओं को खिला देंगे। चारे की भूमि में कोई दूसरी फसल बो देंगे। भूसा भी आठ सौ रुपये कुंटल है। गन्ना चार सौ से कम बेचने में क्या फायदा? इस बार किसान के पास विकल्प है। वह मिल वालों के सामने नहीं झुकेगा।
मिल वालों ने अपने-अपने क्षेत्र का सर्वे करा लिया है। उन्हें पता चल गया है कि गन्ने की हकीकत क्या है? फसल कितनी है और कैसी है? इसलिए समय से भुगतान दिया है और मिल भी समय से चलेंगे। हो सकता है गन्ना मूल्य भी गत वर्ष की तुलना में कुछ ऊपर जाये। वैसे केन्द्र सरकार के बजाय राज्य सरकार से ही किसानों को अधिक उम्मीद लगती है। क्योंकि अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारी के लिए अभी से किसानों में मजबूत कदम जमीन बनाने में जुटे हैं। देखते हैं इस बार गन्ने की मिठास का आनंद किसानों को मिलेगा या मिल वालों को?
-जी.एस. चाहल.
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इस बार गन्ना रकबा घटा है। गन्ना किसानों की उपेक्षा, बिजली की कमी तथा बढ़ते खेती खर्च के कारण फसल भी कमजोर है। इसलिए उत्पादन गत वर्ष से काफी नीचे आयेगा जिससे चीनी का उत्पादन गिरेगा। हो सकता है मिल दो ढाई माह चल कर ही गन्ना खत्म कर दें।
इस बार अभी गन्ना मूल्य पर भी अधिक शोर शराबा नहीं हो रहा। किसान सोच रहा है गन्ना थोड़ा है इसलिए कोई जल्दी नहीं। इसलिए कीमत ठीक मिल सकती है। दूसरी ओर चारा महंगा है। यदि गन्ना सस्ता बिका तो चारे की जगह काट कर पशुओं को खिला देंगे। चारे की भूमि में कोई दूसरी फसल बो देंगे। भूसा भी आठ सौ रुपये कुंटल है। गन्ना चार सौ से कम बेचने में क्या फायदा? इस बार किसान के पास विकल्प है। वह मिल वालों के सामने नहीं झुकेगा।
मिल वालों ने अपने-अपने क्षेत्र का सर्वे करा लिया है। उन्हें पता चल गया है कि गन्ने की हकीकत क्या है? फसल कितनी है और कैसी है? इसलिए समय से भुगतान दिया है और मिल भी समय से चलेंगे। हो सकता है गन्ना मूल्य भी गत वर्ष की तुलना में कुछ ऊपर जाये। वैसे केन्द्र सरकार के बजाय राज्य सरकार से ही किसानों को अधिक उम्मीद लगती है। क्योंकि अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारी के लिए अभी से किसानों में मजबूत कदम जमीन बनाने में जुटे हैं। देखते हैं इस बार गन्ने की मिठास का आनंद किसानों को मिलेगा या मिल वालों को?
-जी.एस. चाहल.
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