आडवाणी का मन : शायद टीस अभी बाकी है?

advani in despair
लालकृष्ण आडवाणी के मन में पिछली बातें जिंदा हैं। ऐसा अहमदाबाद में दिये उनके संबोधन को सुनकर लगा। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री बताया और कहा कि उनके जैसा प्रधानमंत्री भारत में नहीं हुआ।

नरेन्द्र मोदी को आडवाणी ने बेहतर प्रधानमंत्री बताया, लेकिन अटल को उनसे ज्यादा अच्छा।

आडवाणी के साथ इस साल जो घटनायें घटीं, उनसे वे आहत हैं। नरेन्द्र मोदी के साथ जो उनके संबंध हैं, वे पूरी तरह खुलकर नहीं कह पाये। कई बातों को ऐसा लगा कि वे भीतर ही दफन किये बैठे हैं। हालांकि उनका चेहरा सब बयान कर देता है।

जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे जो वे अपनी आंखों में आंसू लिए हुए थे। कैमरा जूम करने पर साफ पता चल रहा था कि आडवाणी जी भावुक हुए हैं। वे अपनी भावुकता को छिपा न सके। सवाल उस समय उठे थे कि यह भावुकता खुशी की है या किसी टीस की जो अभी बाकी है। जबाव पूरी तरह मिल नहीं सका था। वैसे समय-समय पर आडवाणी ने अपनी टीस को जाहिर किया है।

शायद वे प्रधानमंत्री बनने का सपना लिये ही रह गये। लालू प्रसाद यादव ने संसद में उनके इस सपने पर तंज भी कसा था।

मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा ने पुराने दिग्गजों को धीरे-धीरे किनारे कर दिया। मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी उनमें प्रमुख नेता थे।

आडवाणी ने मोदी का पहले विरोध भी किया था।

आडवाणी के मन को हम पढ़ नहीं सकते लेकिन इतना कह सकते हैं कि मन भारी होने पर मन हल्का करने का प्राकृतिक तरीका हर किसी के पास है।

-गजरौला टाइम्स न्यूज

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