महिला सभासद नहीं पहुंचतीं बैठकों में

नगर पंचायत में आरक्षण के मुताबिक उन सभी वार्डों से महिला सभासद चुनी गयी हैं जिन वार्डों से महिला चुनी जानी थीं। यह महिला सशक्तिकरण और सत्ता में पुरुषों के साथ भागीदारी के लिए जरुरी संविधानिक तथा मौलिक महिला अधिकार है।

नगर की इन निर्वाचित सभासदों में से लगभग सभी नगर पंचायत बोर्ड की बैठकों से अनुपस्थित रहती हैं। उनके स्थान पर उनके परिवार के दूसरे सदस्य बतौर सभासद बैठकों में भाग लेते हैं। भाग ही नहीं लेते बल्कि एक-दो तो इतने शक्तिशाली हैं कि असली सभासदों से हर मुद्दे पर बहस करते समय उनसे तो भिड़ते ही हैं साथ ही इ.ओ. और नगर पंचायत अध्यक्ष तक से भी उलझने को तैयार रहते हैं। इतना होते हुए भी इ.ओ. अथवा चेयरमेन का यह साहस तक नहीं है कि उनसे यह भी कह सकें कि जब आप सभासद नहीं हैं तो बैठक में किस हैसीयत से भाग ले रहे हैं या बहस करने वाले कौन हैं? यह तो सीधा-सीधा उन महिला अधिकारों का हनन है जिनकी आयेदिन दुहाई दी जा रही है। जबकि पुरुष उनके सहारे राजनीतिक हित साध रहे हैं।

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एक महिला सभासद के परिजन से जब हमने इस बाबत पूछा तो उन्होंने हमारी शिकायत को तो वाजिब बताया लेकिन साथ ही कहा कि गजरौला नगर पंचायत बोर्ड की बैठक में जो होता है आप अखबार वाले देखते ही हैं। पता नहीं हंगामे में क्या हो जाये? सभासद मारपीट, गाली-गलौच तक कर बैठते हैं। ऐसे माहौल में महिलाओं का बैठना भला कहां तक उचित है? इसलिए उनके स्थान पर हम स्वयं ही बैठकों में चले जाते हैं। मूलभावना जन सेवा है, जो होनी चाहिए, स्त्री करे या पुरुष।

-गजरौला टाइम्स न्यूज गजरौला

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