मलाई मार के कुछ हमें भी छोड़ दो



kamil pasha controversial figure in gajraula
नगर पंचायत अध्यक्ष, इ.ओ. तथा ठकेदारों में निर्माण और विकास कार्यों को लेकर अच्छा तालमेल है। आपसी मिलीभगत में जहां विकास का पैसा ठिकाने लग रहा है वहीं कुछ ईमानदार सभासद तथा जागरुक नागरिक समय—समय पर इस तरह के कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच की मांग भी करते रहते हैं। इस सबसे नगर पंचायत कार्यालय के कर्मचारी विशेषकर ऐसे लिपिक जो दिनभर मामूली वेतन के सहारे काम में जुटे रहते हैं अच्छी तरह वाकिफ हो गये। उनका मानना है कि इ.ओ. तथा बड़ा बाबू ठेकदारों से मिलकर मोटी मलाई मार रहे हैं तो हम भी इस दूध भरी हांडी में से थोड़ा दूध क्यों न निकाल लें? देखा—देखी कई लिपिक कर वसूली की रसीदों में हेराफेरी और लोगों के कागजों में अवैध वसूली में लिप्त होने लगे। यह जुमला नगर पंचायत की हवा में तैरता रहता है कि मलाई मारके हमें भी छोड़ दो।

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हाल ही में एक लिपिक से सभासद अशोक चौधरी दिले की इसी बात पर नोकझोंक हुई। बताया जाता है कि रसीद नौ सौ की थी और उनसे तीन हजार रुपयों की मांग की गयी। जबकि चेयरमेन हरपाल सिंह के आदेश के बावजूद सभासद लिपिक के पास गये थे। विवाद इतना बढ़ा कि लिपिक ने रसीद देने से ही इंकार कर दिया। बाद में सभासदों को जब पता चला तो उनमें से सरदार हरजीत सिंह, संजय अग्रवाल, अजित सिंह, देशवीर सिंह, अमरीक सिंह, जाफर मलिक, आदि चेयरमेन हरपाल सिंह के पास शिकायत करने पहुंचे। इन लोगों की नाराजगी थी कि जब नगर पंचायत का बाबू एक सभासद के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहा है तो आम आदमी का क्या हाल होगा? चेयरमेन के आदेश को भी दरकिनार करना क्या यह नहीं सिद्ध करता कि उनकी कमजोरी लिपिक की पकड़ में है। सभासद लिपिक के निलंबन की मांग कर रहा है। जबकि लिपिक के साथी ऐसा होने पर आंदोलन की धमकी दे चुके।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.