सरकारी तौल पर नहीं खरीदा जा रहा गेहूं

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उपमंडी स्थल पर गेहूं की आवक शुरु हो चुकी है। प्रतिदिन हजारों कुंटल गेहूं किसानों द्वारा यहां बेचा जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार गेंहू का एक दाना भी यहां खरीदा नहीं जा सका। इसके कई कारण हैं। सबसे पहला कारण मंडल निरीक्षक तथा यहां मौजूद आढ़तियों की आपसी सांठ-गांठ है जबकि गेहूं को मानकानुसार न होना दूसरा कारण है। सरकारी तौल पर भुगतान की उचित व्यवस्था नहीं करना भी बड़ा कारण है।
 
गन्ना भुगतान न हो पाना, और धान का उचित मूल्य न मिलना। मौसम की खराबी से तिलहन व दलहन फसलों के साथ ही गेहूं में भारी क्षति ने किसानों की माली हालत का कचूमर निकाल दिया। गन्ने, चारे और जायद की बुवाई के लिए भी उसे धन की जरुरत है। ऐसे में गेहूं के जो भी दाने उसके पास उपलब्ध हैं वह फटाफट मंडियों तथा बाजारों में ला रहा है। लगभग सभी गेहूं काला तथा दाना सिकुड़ा हुआ है।

केन्द्र और सूबाई सरकारों द्वारा सभी तरह का अनाज खरीदने की घोषणायें की जा रही हैं। जबकि गेंहू क्रय केन्द्रों और मंडियों में यह घोषणा ही है। केन्द्र प्रभारी मानकानुसार गेहूं न होना कहकर लोगों को टाल रहे हैं। नकद के बजाय भुगतान चैक द्वारा करने से भी किसान डर रहे हैं। उन्हें पैसे ही त्वरित आवश्यकता है। बैंकों में कई बार समय से पैसा नहीं मिलता। कभी छुट्टी और कभी कार्य-समय समाप्ति, बड़ी झंझट हो जाती है। तौल केन्द्र प्रभारी स्वयं भी इन समस्याओं का निदान यह कहकर करने का प्रयास करते हैं कि आढ़तियों के यहां दे दो। जैसा गेहूं वैसा दाम। वे सभी तरह का गेहूं ले रहे हैं और साथ के साथ भुगतान लो और चलते बनो।

आढतों पर धड़ाधड़ गेहूं आ रहा है। खराब गेहूं का बहाना और किसान की मजबूरी का लाभ उठाते हुए व्यापारी सस्ते से सस्ते में गेहूं खरीद रहे हैं। कहते हैं —’मुर्दे घाट से वापस नहीं जाते और भेड़ को तो मुंड़ना ही पड़ता है।’ ऐसी ही स्थितियों में फंसा बेचारा किसान मंडी में मुंडने को बाध्य हैं। मंडी निरीक्षक और गेहूं तौल प्रभारी खुलकर किसानों की लूट कराने और व्यापारियों को लाभ पहुंचाने में संलग्न हैं।

मौसम की मार से जो दाने बचे हैं उनमें उपमंडी स्थल में भी सेंधमारी जारी है। कोई यह पूछने वाला नहीं कि जब आढ़तियों के पास हजारों कुंटल गेहूं प्रतिदिन आ रहा है तो सरकारी तौल पर गेहूं क्यों नहीं आ रहा। आढ़ती तेरह से साढ़े तेरह सौ तक मूल्य पर गेहूं खरीद रहे हैं जबकि सरकारी मूल्य साढ़े चौदह सौ है। वैसे यहां बोर्ड पर सरकारी गेहूं का मूल्य अभी 1400 रुपये ही अंकित है। यह भी मंडी कर्मियों की साजिश है ताकि पढ़े-लिखे किसान भी सरकारी मूल्य 1400 ही समझें और आढ़तियों को सस्ता गेहूं उपलब्ध हो सके।

गजरौला जाकर जल्दी ही जायजा लूंगा -मंडी सचिव

मंडी सचिव एसपी सिंह से जब हमने गजरौला की उपमंडी स्थल की गेहूं क्रय में व्याप्त अनियमितता का उल्लेख किया तो उन्होंने कहा कि वे गजरौला आकर जल्दी ही उपमंडी में गेहूं क्रय व्यवस्था का जायजा लेंगे तथा किसानों की समस्याओं का यथोचित समाधान भी करायेंगे। मंडी निरीक्षक की भूमिका का भी जायजा लेने का आश्वासन दिया।

टाइम्स न्यूज़ गजरौला.