आधे अधूरे राज्य की सरकार ने आपदा पीड़ित किसानों को पचास हजार रुपये हेक्टेअर की आर्थिक सहायता का फैसला कर किसान हितैषी होने का उदाहरण पेश किया है। इसी आम आदमी पार्टी की सरकार ने पीने का पानी तथा बिजली बिलों में राहत प्रदान की है। राज्य के सरकारी दफ्तरों में काम समय से हो रहा है तथा रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगा है। इतना सुधार दो माह की सरकार ने कर दिखाया है। जबकि अत्यंत महत्वपूर्ण पुलिस जैसे कुछ महकमे उसके अधीन नहीं हैं और तीनों महानगर निगमों पर उसकी सख्त विरोधी भाजपा का कब्जा है। एक ही राज्य में दो परस्पर विरोधी दलों का अधिकार होने में राज्य की सत्तारुढ़ पार्टी के लिए कठिनाई होना स्वाभाविक है। इसके बावजूद केजरीवाल सरकार का काम वास्तव में सराहनीय है।
यदि देश के अन्य राज्यों की सरकारें दिल्ली की ’आप’ सरकार से सबक लेकर अपने में बदलाव करें तो लगातार हो रही किसानों की मौतों पर विराम लग सकता है। उत्तर प्रदेश में कहने को तो समाजवादी पार्टी की सरकार है लेकिन समाजवाद से उसका दूर का भी रिश्ता नहीं। मुलायम सिंह यादव के परिवार का शासन यहां कायम है। वे अपने गांव में अधिकांश धन खर्च कर रहे हैं। सैफई में तमाम विकास के काम इस तरह हो रहे हैं, मानो सारा प्रदेश वहीं है।
आर्थिक शोषण और भ्रष्टाचार से त्रस्त किसान आयेदिन मौत को गले लगा रहे हैं। उसपर भी किसानों के मसीहा और समाजवादी होने के ढोल पीटे जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी सरकार जब पचास हजार रुपये प्रति हेक्टेअर मुआवजा दे रही है। उत्तर प्रदेश की सरकार ऐसा क्या नहीं कर सकती? यूपी सरकार को कम से कम केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में किसानों से इसबार बिना किसी रियायत के मार्च 2015 तक का बिजली भुगतान मार्च खत्म होने से पहले ही ले लिया गया। गन्ने भुगतान पूरे साल, बल्कि कई किसानों का गत वर्ष का भी नहीं हुआ, बिजली बिल को अग्रिम भुगतान का दबाव बनाया गया। इस व्यवहार से किसान बहुत ही रोष में है। सपा सरकार के नेता इसे नहीं समझ रहे। विधानसभा चुनाव में भले ही दो वर्ष का समय है, लेकिन किसानों की नाराजगी सरकार से घटने के बजाय बढ़ेगी।
किसानों और आम आदमी का दिल जीतने के लिए आम आदमी पार्टी दिल्ली में कराये जा रहे कार्यों को जनता के सामने रखेगी। वैसे भी उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र के लोग दिल्ली आते-जाते हैं। भले ही मीडिया आप को प्रचार न दे रहा हो, ऐसे लोग उसकी आवाज हर गांव व हर कस्बे तक पहुंचा रहे हैं। सपा सरकार को यदि 17 का चुनाव जीतना है तो उसे केजरीवाल मॉडल को अपनाना होगा, नहीं तो लखनऊ की गद्दी यादव परिवार के नीचे से खिसकनी लाजिमी है।
-जी.एस. चाहल.