
पालिका बनते ही नगर पंचायत बोर्ड भी समाप्त होना तय है। इसलिए हरपाल सिंह अंतिम समय तक यही प्रयास कर रहे हैं जिससे उनका कार्यकाल पूरा होने तक गजरौला पालिका न बन पाये।
गौर करने योग्य है कि प्रदेश में सपा सरकार है और पूरे लोकसभा क्षेत्र की पांचों सीटें सपा के कब्जे में हैं। यही नहीं यहां से राज्य सरकार में दो मंत्री भी हैं। जबकि गजरौला नगर पंचायत पर भाजपा का कब्जा है। काफी समय से हरपाल सिंह का पत्ता साफ करने के प्रयास हो रहे हैं। गजरौला को नगर पालिका बनाकर हरपाल सिंह को पदमुक्त करने से बेहतर कोई मार्ग नहीं। इसके लिए गजरौला की कुरसी हथियाने की अभिलाषा पालने वाली सपा मंडली ने पालिका बनवाने का रास्ता चुना है।
ऐसे में हरपाल सिंह द्वारा पालिका बनाने के खिलाफ जो आपत्तियां शासन को भेजी गयी हैं उनके निरस्त होने की पूरी गुंजाइश है। इसके लिए राहुल कौशिक जैसे कई सपा नेता लखनऊ में जोर आजमाइश पर हैं। उन्हें उम्मीद है कि हरपाल सिंह का दांव काट दिया जायेगा।
दूसरी ओर हरपाल सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि हरपाल सिंह के कई सपा नेताओं से बेहतर संबंध हैं। वे उनके सहारे अपनी अपत्तियां मजबूती से रखकर पालिका परिषद की स्वीकृति को अपना कार्यकाल पूरा करने तक दबवा देंगे। इसमें भी सच्चाई हो सकती है। हरपाल सिंह के कार्यकाल में जिस तरह निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री लगायी जा रही है। वह यहां के लोग अच्छी तरह जान गये। चरचायें हैं कि धन—बल पर वे जांच कराने की परवाह तक नहीं करते। इसी के साथ यहां बीते तेरह वर्षों से तैनात इ.ओ. भी उनके साथ बेहतर कदमताल में हैं, अतः उठापटक, दो शक्तिशाली पक्षों में है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.