नगर पंचायत लोगों को आवश्यक सुविधायें मुहैया कराने के बजाय बिना जरुरत के कामों पर धन लुटा रहा है। इसी के साथ धन एकत्र करने के अवैध तरीकों से भी पीछे नहीं हट रहा। इस सबके पीछे जहां तेरह वर्षों से यहां तैनात इ.ओ. अपने पुराने आजमाये हथकंडों का प्रयोग करने में संलग्न है। वहीं अपने विभागीय कार्यकाल में गंगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र में विवादित रहे पूर्व विधायक का यहां चेयरमेन बनना इस तरह के कामों को सिरे चढ़ाने में और भी सहायक हो रहा है।
नगर पंचायत में सभी प्रमुख चौराहों पर अतिक्रमण और वाहनों के भारी दबाव के कारण लोगों को खड़े तक होने को जगह नहीं बची। निजि वाहन चालक जिनमें रोजगार न मिलने से परेशान नवयुवकों की तादाद अधिक है, ने यहां से यात्री ढोने को भारी तादाद में टैक्सी टाइप कारें तथा मैक्स और मैजिक आदि वाहन चला रखे हैं। वे इससे कुछ न कुछ कमाई का जुगाड़ कर परिवार का भरण पोषण का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे वाहनों को नगर पंचायत की ओर से कोई पार्किंग स्थल की सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी। स्थानाभाव में अल्लीपुर चौपुला का पूरा क्षेत्र दिनभर इन वाहनों से घिरा रहता है। सड़कों के किनारे, ओवर ब्रिज के आसपास खड़े ये वाहन यातायात में सबसे बड़ी बाधा हैं।
थाना चौराहे पर डिग्री कालेज के पास सड़क पर यातायात कम है। सड़कें चौड़ी हैं, यहां भी सड़क के दोनों ओर सुव्यवस्थित ढंग से कई दर्जन टैक्सियां खड़ी रहती हैं जिनमें से बहुत कम ही माह में 10-15 दिन चल पाती होंगी। इनसे यहां यातायात बाधित नहीं होता। ये भी नगर पंचायत की भूमि के बजाय सड़क की भूमि पर ही खड़े होती हैं।
पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में कहीं भी नगर पंचायत ने पार्किंग स्थल की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी है। ये वाहन चालक, आयेदिन पुलिस के कोपभाजन भी बनते हैं। सैंकड़ों परिवारों को इन वाहनों के सहारे रोजी-रोटी मिल रही है। ऐसे में जहां इनसे यातायात बाधित होता है, वहीं लोगों को आवागमन के साधन उपलब्ध होने से उनकी बड़ी समस्या का निदान भी होता है। सामाजिक न्याय की दृष्टि से इनका चलना बहुत जरुरी और जन हितैषी है।
भले ही कानूनी दृष्टिकोण से वे कई कानूनी यातायात पहलुओं को नजरअंदाज करते हैं। इनके साथ नगर पंचायत सबसे बड़ी नाइंसाफी कर रहा है। हाल ही में नगर पंचायत ने यहां पार्किंग शुल्क का सत्रह लाख से अधिक का ठेका छोड़ा है। ठेका छोड़ा गया तो कोई न कोई तो लेता ही। अब ठेकेदार को सत्रह लाख नगर पंचायत को और अपने कर्मचारियों को वेतन की राशि भी देनी है। उसके बाद उसे भी कुछ तो चाहिए। इसलिए लगभग 35 लाख रुपये वाहन चालकों(मालिकों) से वसूले जा रहे हैं जिन्हें नगर पंचायत ने खड़ा होने तक को पार्क तो क्या एक इंच जमीन भी उपलब्ध नहीं करायी। वाहन चालकों का कहना है कि उन्हें पार्किंग शुल्क की रसीद कटाने में इसलिए दर्द हो रहा है कि यह बिना सुविधा उपलब्ध कराये वसूली हो रही है। नगर पंचायत पहले पार्किंग स्थल मुहैया कराये, उसके बाद वह शुल्क लेने का हकदार है। यह खुली दादागीरी और बदमाशी है। पूरे नगर क्षेत्र में नगर पंचायत ने कार, स्कूटर, ट्रैक्टर बल्कि रिक्शा तक खड़ा करने को पार्किंग व्यवस्था नहीं की।
मैक्स तथा मैजिक समेत सभी यात्री वाहन मालिकों का कहना है कि परिवहन विभाग में इतना टैक्स जमा किया जाता है, उसके अलावा ड्राइवर लाइसेंस की फीस, प्रदूषण लाइसेंस फीस, रोड टैक्स, यात्री-कर, बीमा शुल्क समेत दुनियाभर के टैक्सों के साथ पुलिस वालों की सेवा मजबूरी है। नहीं वे यहां सवारी ही खड़ी नहीं होने देंगे। फिर भी पुलिस उन्हें सुरक्षा प्रदान कर दायित्व पूरा कर देती है। नगर पंचायत का पार्किंग शुल्क बिल्कुल नाजायज और गैरकानूनी है। नामित सभासद हरिशचन्द का कहना है कि यह पैसा सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में खर्च किया जाये तो बेहतर होगा। कई गलत जगह पैसा बरबाद किया जा रहा है जबकि शौचालय व पेशाबघर सबसे जरुरी है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
नगर पंचायत में सभी प्रमुख चौराहों पर अतिक्रमण और वाहनों के भारी दबाव के कारण लोगों को खड़े तक होने को जगह नहीं बची। निजि वाहन चालक जिनमें रोजगार न मिलने से परेशान नवयुवकों की तादाद अधिक है, ने यहां से यात्री ढोने को भारी तादाद में टैक्सी टाइप कारें तथा मैक्स और मैजिक आदि वाहन चला रखे हैं। वे इससे कुछ न कुछ कमाई का जुगाड़ कर परिवार का भरण पोषण का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे वाहनों को नगर पंचायत की ओर से कोई पार्किंग स्थल की सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी। स्थानाभाव में अल्लीपुर चौपुला का पूरा क्षेत्र दिनभर इन वाहनों से घिरा रहता है। सड़कों के किनारे, ओवर ब्रिज के आसपास खड़े ये वाहन यातायात में सबसे बड़ी बाधा हैं।
थाना चौराहे पर डिग्री कालेज के पास सड़क पर यातायात कम है। सड़कें चौड़ी हैं, यहां भी सड़क के दोनों ओर सुव्यवस्थित ढंग से कई दर्जन टैक्सियां खड़ी रहती हैं जिनमें से बहुत कम ही माह में 10-15 दिन चल पाती होंगी। इनसे यहां यातायात बाधित नहीं होता। ये भी नगर पंचायत की भूमि के बजाय सड़क की भूमि पर ही खड़े होती हैं।

भले ही कानूनी दृष्टिकोण से वे कई कानूनी यातायात पहलुओं को नजरअंदाज करते हैं। इनके साथ नगर पंचायत सबसे बड़ी नाइंसाफी कर रहा है। हाल ही में नगर पंचायत ने यहां पार्किंग शुल्क का सत्रह लाख से अधिक का ठेका छोड़ा है। ठेका छोड़ा गया तो कोई न कोई तो लेता ही। अब ठेकेदार को सत्रह लाख नगर पंचायत को और अपने कर्मचारियों को वेतन की राशि भी देनी है। उसके बाद उसे भी कुछ तो चाहिए। इसलिए लगभग 35 लाख रुपये वाहन चालकों(मालिकों) से वसूले जा रहे हैं जिन्हें नगर पंचायत ने खड़ा होने तक को पार्क तो क्या एक इंच जमीन भी उपलब्ध नहीं करायी। वाहन चालकों का कहना है कि उन्हें पार्किंग शुल्क की रसीद कटाने में इसलिए दर्द हो रहा है कि यह बिना सुविधा उपलब्ध कराये वसूली हो रही है। नगर पंचायत पहले पार्किंग स्थल मुहैया कराये, उसके बाद वह शुल्क लेने का हकदार है। यह खुली दादागीरी और बदमाशी है। पूरे नगर क्षेत्र में नगर पंचायत ने कार, स्कूटर, ट्रैक्टर बल्कि रिक्शा तक खड़ा करने को पार्किंग व्यवस्था नहीं की।
मैक्स तथा मैजिक समेत सभी यात्री वाहन मालिकों का कहना है कि परिवहन विभाग में इतना टैक्स जमा किया जाता है, उसके अलावा ड्राइवर लाइसेंस की फीस, प्रदूषण लाइसेंस फीस, रोड टैक्स, यात्री-कर, बीमा शुल्क समेत दुनियाभर के टैक्सों के साथ पुलिस वालों की सेवा मजबूरी है। नहीं वे यहां सवारी ही खड़ी नहीं होने देंगे। फिर भी पुलिस उन्हें सुरक्षा प्रदान कर दायित्व पूरा कर देती है। नगर पंचायत का पार्किंग शुल्क बिल्कुल नाजायज और गैरकानूनी है। नामित सभासद हरिशचन्द का कहना है कि यह पैसा सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में खर्च किया जाये तो बेहतर होगा। कई गलत जगह पैसा बरबाद किया जा रहा है जबकि शौचालय व पेशाबघर सबसे जरुरी है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.