राहुल गांधी के तेवरों को दो दिन तक भारत की जनता ने देखा। कुछ उनके इन तेवरों पर तंज कसने से पीछे नहीं रहे। कुछ ने कहा कि राहुल गांधी लिबास ओढ़कर आये हैं। जबकि कुछ मानते हैं कि उनके बयानों में जान है जो पहले से मजबूत होती जा रही है।
लोकसभा में अपने भाषण की वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सबसे अधिक चर्चा हासिल की है। जिसने भी उन्हें लोकसभा में बोलते सुना वह हैरान है। हैरानी के कारण हैं। पहला यह कि राहुल गांधी कम शब्दों में बोले, लेकिन ठोस बात कही। दूसरा यह कि वे ऐसी आक्रामकता पहली बार सदन में लेकर आये। तीसरा यह कि गांधी की शैली में बदलाव है।
उन्होंने यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को किसानों से लेना-देना नहीं, उनकी सरकार तो सूट-बूट की सरकार है। राहुल बोले कि मौजूदा सरकार किसानों को कमजोर कर रही है। किसान कमजोर हो जायेगा तो उसपर ये अपने आर्डिनेंस की कुल्हाड़ी मार देंगे।
गड़करी का आभार व्यक्त किया
राहुल गांधी ने नितिन गडकरी के लिए कहा कि उन्होंने कहा है कि किसान को भगवान और न सरकार पर भरोसा करना चाहिए। राहुल ने कहा कि गडकरी जो बोलते हैं सच बोलते हैं, दिल से बोलते हैं। अच्छी है कि गडकरी ने अपने मन की बात कह दी।
प्रधानमंत्री को राहुल का सुझाव
जैसाकि पहले से चर्चा है कि विपक्ष चाहता है कि किसानों का दर्द समझने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे मिलने जायें। किसानों के बीच जाकर ही उनका हाल जाना जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री के विदेश दौरों से न मिलने वाली फुर्सत पर भी राहुल गांधी बोले।
राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी को सुझाव दिया कि क्यों न पीएम अपनी आंखों से किसानों को देख लें। जहां लोगों के दिल में दर्द है, उनसे जाकर बात कर लें।
लोकसभा में राहुल गांधी के नपे-तुले शब्दों के भाषण से किसानों को कितनी हरियाली दिखेगी यह वक्त बतायेगा। मगर इतना जरुर हुआ है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल पर किसानों के मन में उसे लेकर कई बातें स्पष्ट कर दी हैं। वे पुराने और नये बिल का फर्क समझ रहे हैं। आने वाला समय भाजपा के लिए कई समस्यायें लेकर आ सकता है।
-टाइम्स न्यूज़.
साथ में पढ़ें : कोमल राजकुमार की राजनीति
लोकसभा में अपने भाषण की वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सबसे अधिक चर्चा हासिल की है। जिसने भी उन्हें लोकसभा में बोलते सुना वह हैरान है। हैरानी के कारण हैं। पहला यह कि राहुल गांधी कम शब्दों में बोले, लेकिन ठोस बात कही। दूसरा यह कि वे ऐसी आक्रामकता पहली बार सदन में लेकर आये। तीसरा यह कि गांधी की शैली में बदलाव है।
उन्होंने यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को किसानों से लेना-देना नहीं, उनकी सरकार तो सूट-बूट की सरकार है। राहुल बोले कि मौजूदा सरकार किसानों को कमजोर कर रही है। किसान कमजोर हो जायेगा तो उसपर ये अपने आर्डिनेंस की कुल्हाड़ी मार देंगे।
गड़करी का आभार व्यक्त किया
राहुल गांधी ने नितिन गडकरी के लिए कहा कि उन्होंने कहा है कि किसान को भगवान और न सरकार पर भरोसा करना चाहिए। राहुल ने कहा कि गडकरी जो बोलते हैं सच बोलते हैं, दिल से बोलते हैं। अच्छी है कि गडकरी ने अपने मन की बात कह दी।
प्रधानमंत्री को राहुल का सुझाव
जैसाकि पहले से चर्चा है कि विपक्ष चाहता है कि किसानों का दर्द समझने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे मिलने जायें। किसानों के बीच जाकर ही उनका हाल जाना जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री के विदेश दौरों से न मिलने वाली फुर्सत पर भी राहुल गांधी बोले।
राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी को सुझाव दिया कि क्यों न पीएम अपनी आंखों से किसानों को देख लें। जहां लोगों के दिल में दर्द है, उनसे जाकर बात कर लें।
लोकसभा में राहुल गांधी के नपे-तुले शब्दों के भाषण से किसानों को कितनी हरियाली दिखेगी यह वक्त बतायेगा। मगर इतना जरुर हुआ है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल पर किसानों के मन में उसे लेकर कई बातें स्पष्ट कर दी हैं। वे पुराने और नये बिल का फर्क समझ रहे हैं। आने वाला समय भाजपा के लिए कई समस्यायें लेकर आ सकता है।
-टाइम्स न्यूज़.
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