ऐसे तो पांच हजार वर्षों का समय चाहिए

उत्तर प्रदेश के एक लोकसभा क्षेत्र में बारह सौ से डेढ़ हजार तक गांव आते हैं। हमारी मौजूदा केन्द्र सरकार, जो वास्तव में मोदी सरकार है, ने प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के एक गांव को पांच वर्ष में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। सभी एमपी अपने संसदीय क्षेत्र के एक-एक गांव का चयन कर चुके हैं। एक वर्ष में इन चयनित गांवों के लोगों को केवल यही पता चला है कि उनका गांव आदर्श गांव बनने की सूची में है। पांच साल यानि अब शेष बचे चार वर्षों में गांवों को सुविधा संपन्न बनाने का काम होगा। यदि पांच साल में एक संसदीय क्षेत्र के एक गांव की हालत सुधरी तो शेष एक हजार से अधिक गांवों के विकास को तो पांच हजार साल से भी अधिक का समय चाहिए। यह कौन सी नीति है जो देश का ऐसा विकास चाहती है?

गजरौला विकास खंड के चकनवाला गांव को अमरोहा सांसद ने आदर्श गांव बनाने को गोद लिया है। एक वर्ष में उस गांव का सर्वे तक नहीं हुआ। सांसद इधर आने में भी समय नहीं निकालते।

संसदीय क्षेत्र के शेष गांवों के लोगों का कहना है कि सांसद तो संसदीय क्षेत्र के सभी गांवों के हैं। उन्हें सारे गांवों के विकास पर समान ध्यान देना चाहिए। जब क्षेत्र के सभी गांवों और शहरों के लोग एक जैसी दर पर राजस्व अदा करते हैं तथा उपभोक्ता वस्तुओं पर समान कर देते हैं तो विकास के नाम पर भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। 

नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के दौरान नारा दिया था कि ट्टसबका साथ, सबका विकास’ आज भी भाजपाई यही नारा लगा रहे हैं। लेकिन हकीकत में इसका उलट किया जा रहा है। साथ सबका मिला लेकिन विकास कुछ का ही किया जा रहा है। आदर्श ग्राम योजना में तो यही हो रहा है।

उत्तर प्रदेश में जनता इसलिए भी भाजपा के खिलाफ होती जा रही है कि सबकी जेब से गये धन को एक ही गांव पर खर्च किया जायेगा।

अमरोहा के बारह सौ गांवों के लोग चकनवाला के विकास को नहीं पचा पायेंगे। इस कदम से -’हमें न चाहो तो कोई बात नहीं, गर किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी’ वाली स्थिति बन सकती है। दूसरे गांव सांसद के खिलाफ होने निश्चित हैं। आगामी चुनाव में क्षेत्र के ऐसे  गांवों का चयन हो जहां सुविधाओं का सर्वाधिक अभाव है। चरणबद्ध ढंग से विकास में पिछड़ने वाले उन सभी गांवों को पांच वर्षों में जरुरी सुविधायें प्रदान की जा सकती हैं। हजार गांवों में से पांच साल में एक गांव का विकास तो ऊंट के मुंह में जीरे से भी कम है।

-जी. एस. चाहल.