विधानसभा चुनाव 2017 के लिए यहां से बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व जिलाध्यक्ष हेम सिंह आर्य को मैदान में उतारा है। सपा और भाजपा अपने पिछले उम्मीदवारों को बदलने की सोच रही है। यह दोनों दलों की हाईमकान तय करेंगी कि वे किसे उम्मीदवार बनायें। मौजूदा स्थिति में न तो एम. चन्द्रा सपा को विजय दिला सकते हैं और न ही हरपाल सिंह सफल हो सकते हैं। हो सकता है दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने यह जानकारी हासिल कर ली हो।
हरपाल सिंह इस समय गजरौला के चेयरमेन हैं। वे यहां भाजपा से अधिक सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। विधानसभा क्षेत्र को छोड़िये गजरौला नगर पंचायत में स्थानीय कार्यकर्ताओं में आंतरिक स्तर पर गहरे मतभेद हैं। लोग यहां तक कह रहे हैं कि हरपाल सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर सपा के दबाव में काम कर रहे हैं।
थाना चौक स्थित पार्टी कार्यालय पर वे जाने से बचते हैं। पुराने भाजपा नेता रामकृष्ण चौहान का आरोप है कि नाला निर्माण में पार्टी कार्यालय के सामने अनियमितता बरती गयी। कहने के वावजूद वहां नाले पर पट्टियां नहीं लगवायीं। ऊंचाई भी सामान्य से नीची है जिससे महिलाओं और बच्चों को परेशानी होती है। कभी भी बड़ी दुघर्टना हो सकती है। अधिकांश निर्माण कार्यों में धांधली के आरोप लग रहे हैं। हरपाल सिंह की कार्यप्रणाली की गूंज पूरे विधानसभा क्षेत्र में है। जिसका विरोध उनको विधानसभा चुनाव में झेलना होगा। यदि वे टिकट पाने में सफल भी हो गये तो बसपा और सपा उम्मीदवारों के बाद उनका स्थान आ सकता है। इसीलिए कुछ लोग तोताराम पूर्व विधायक को उम्मीदवार बनाने के प्रयास में जुटे हैं। वैसे भी हेम सिंह आर्य के सामने हरपाल सिंह हों, तोताराम हों या दूसरा कोई दलित नेता, वह बहुत ही कमजोर सिद्ध होगा।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.