चुनाव के दौरान वोटों के सौदागर लाख बंदिशों के वावजूद कमजोर तबके के लोगों में शराब बांटकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। महीनों पहले से लोगों में शराब बांटी जाने लगती है। हर बार न जाने कितने नये लोग इस तरह शराब के गुलाम बना दिये जाते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद ऐसे लोगों को जब मुफ्त शराब नहीं मिलती तो वे खरीदकर पीने को बाध्य होते हैं। प्रतिवर्ष सरकारें बजट में शराब पर कर बढ़ाकर यह जताने की कोशिश करती हैं कि महंगी होने पर लोग इसे या तो बंद कर देंगे या कम सेवन करेंगे। परंतु यह लत इतनी खतरनाक है कि गालिब जैसों को भी कहना पड़ा -गालिब नहीं छुटती यह दिल की लगी हुई।
चौहानपुरी और मायापुरी जैसे स्थानों पर सस्ती शराब मिल जाती है। महंगी खरीदी नहीं जाती, बिना पिये रह नहीं सकते। इसलिए कच्ची शराब का धंधा जोर पकड़ता जा रहा है। हमारे नेता वोटों के बदले न जाने कितने परिवारों को इसी तरह बरबादी के गर्त में धकेल रहे हैं तथा आबकारी और पुलिस विभाग भी उनके बरबादी से बचाने के बजाय उनकी बरबादी में अपनी तथा अपने परिवार की तरक्की में तलाशते हैं।
आबकारी विभाग और पुलिस जानकर भी बने हैं अनजान
मोहल्ला चौहानपुरी और मायापुरी के कई घरों में अवैध रुप से कच्ची शराब बनाने का धंधा जारी है। मोहल्लों की कुछ महिलाओं द्वारा इसका विरोध करने के वावजूद आबकारी विभाग अथवा पुलिस इसके खिलाफ कुछ भी करने को तैयार नहीं। त्योहार आदि के मौके पर अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाने के नाम पर आबकारी विभाग औपचारिकता निभाने को एक-दो लोगों के खिलाफ छापामार कार्रवाई का नाटक कर अपने दायित्वों की इतिश्री मान लेता है। जिससे दोनों जगह निर्बाध रुप से यह धंधा दशकों से जारी है।सभासद संजय अग्रवाल के अनुसार शाम के समय यहां शराब खरीदने वालों का इतना जमघट लग जाता है कि इतनी भीड़ सरकारी ठेकों की दुकानों पर भी नहीं लगती। वार्डों की महिलायें सबसे अधिक परेशान हैं। सस्ती शराब से मोहल्ले में ही शराब पीने की लत के शिकार लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई लोग यहां शराब पीकर उत्पात भी मचाते हैं। कई घरों में नशा घरेलू महाभारत का रुप ले लेता है। कई महिलायें एकजुट होकर नशेड़ियों पर लाठियां भी चला चुकीं। लेकिन आबकारी और पुलिस विभाग के संरक्षण के चलते वे अपने मकसद में सफल नहीं हो पातीं। सभासद ने इसे वार्ड की सबसे बड़ी समस्या बताया है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.