बनते ही बिखर जाती हैं सड़कें

सड़कों-के-निर्माण-के-लिए-अथाह-राशि-खर्च-कर-दी-जाती-है

प्रतिवर्ष केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा उत्तर प्रदेश में सड़कों के निर्माण के लिए अथाह राशि खर्च कर दी जाती है। ग्राम विकास के नाम पर गांवों को सड़कों से जोड़ने और गांवों के अन्दर सड़कें और जल निकासी के नाले निर्माण पर भी भारी राशि खर्च की जाती है। ढाई दशक से तो ग्रामांचलों में सड़कों के निर्माण के लिए बेतहाशा धन आया है। यदि इसका आधा पैसा भी ईमानदारी से खर्च किया जाता तो हमारे गांवों की सड़कें चमचमाती नजर आनी चाहिए थीं। परन्तु जब हम देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचते हैं तो हालात इसके बिल्कुल विपरीत नजर आते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हालत पूर्वी उत्तर प्रदेश से बेहतर है जबकि राज्य की राजधानी पूर्वी जिलों के बीच तथा करीब है।
 
ग्रामांचलों की सड़कों का निर्माण केवल नाम मात्र के लिए किया जाता है। सामग्री बेहद घटिया तथा मानक से बहुत ही निम्न स्तर की होती है। अधिकांश सड़कें बनते ही बिखर जाती हैं। उनकी हालत जगह-जगह से फटे कपड़े की तरह बदतर हो जाती है। जगह-जगह गड्ढे तथा कई स्थानों पर दूर-दूर तक सड़क खत्म ही हो जाती है। एक साल में अधिकांश सड़कें बदतर हाल में पहुंच जाती हैं।

सड़कों के निर्माण के समय सम्बंधित इंजीनियर और अन्य निरीक्षक उसका मुआयना करते हैं। ठेका देने से लेकर निर्माण के पूरा होने तक बल्कि उसके उद्घाटन आदि में क्रमवार सारी औपचारिकतायें पूरी कर लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है। बहुत से लोग निर्माण में घटिया सामग्री आदि की शिकायतें भी करते हैं लेकिन ठेकेदार कार्यदायी विभाग या संस्था से लेकर लखनऊ तक गहरी सांठगांठ में ऐसी शिकायतें धरी रह जाती हैं और निर्माण को आया अधिकांश धन ठेकेदारों, सरकारी अधिकारियों और सफेदपोश सत्ताधीशों की जेबों में चला जाता है। इस प्रकार जनता की गाढी कमाई चन्द भ्रष्ट लोगों की जेबों में चली जाती है। विकास के नाम पर सरकारी खजानों की आजाद भारत में इस तरह लूट हो रही है।

यही कारण है कि गांवों के मार्ग बदहाल हैं। आजादी के सातवें दशक में भी हम अपने गांवों को पक्के रास्तों से नहीं जोड़ पाये। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, मुजफ्फरनगर आदि जिलों की हालत फिर भी बेहतर है जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों का बुरा हाल है। यह कहने में कोई बुराई नहीं कि उत्तर प्रदेश के जाट बाहुल्य क्षेत्र से जाट आबादी रहित गांवों का विकास कम हुआ है। जबकि विकास के नाम पर पूर्वी क्षेत्र को केन्द्र तथा राज्य स्तर से अधिक पैसा दिया जाता है।

मुलायम सिंह यादव ने अपने सभी कार्यकालों में हर बार पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए ही अधिकांश धन दिया है। परन्तु पूरब पश्चिम से लगातार पिछड़ता जा रहा है। सड़कें ग्रामीण और राष्ट्रीय विकास की बात बेमानी है। सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा की सरकारें यहां बनी हैं। सड़कों के मामले में सभी का रवैया एक जैसा रहा है।

-जी. एस. चाहल