विद्युत समस्या से चारों ओर हाहाकार

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तेज गरमी, भयंकर सूखा और उसके साथ बिजली की किल्लत, शहर और देहात का हर शख्स परेशान है। बाजार भी सूने हैं। खेतों में फसलें मुरझाईं-झुलसायी खड़ी हैं। बिजली आती है -जैसे ही पानी नाली से क्यारी तक पहुंचता है बिजली भाग जाती है।

सबसे अधिक किसान परेशान हैं। कई जगह बिजली कर्मियों का घेराव कर रहे हैं। कहीं विभागीय अधिकारियों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। जरुरत के मुताबिक बिजली उपलब्ध न होने के कारण बिजली अधिकारी भी परेशान हैं। कहीं ओवरलोड के कारण ट्रांसफार्मर फ़ुंक रहे हैं। कहीं ट्रांसफार्मर बदलने, कहीं लाइन खराब होने और कहीं बार-बार बिजली गायब होने की शिकायते हैं। जिले में दर्जनों बिजलीघर चालू हैं और कई प्रस्तावित हैं, जब पीछे से बिजली ही उपलब्ध नहीं तो इन बिजलीघरों का क्या लाभ? लोगों को बिजलीघर नहीं बिजली की जरुरत है।

शुष्क मौसम को देखते हुए वर्षा की दो सप्ताह तक कोई उम्मीद नहीं। यदि इस बीच स्थानीय विक्षोभ के चलते कहीं थोड़ी बहुत बारिश हो भी गयी तो उससे खेती पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, बल्कि ऐसे में सिंचाई की अधिक जरुरत होती है। गन्ना, हरा चारा और दलहन की फसलों को भारी नुकसान है।

जो किसान आर्थिक रुप से मजबूत हैं या साथ में कोई दूसरा व्यवसाय या नौकरी आदि करते हैं वे डीजल से सिंचाई कर रहे हैं लेकिन इसपर लागत इतनी आयेगी कि फसल घाटे का सौदा होकर रह जायेगी। पर्याप्त बिजली ही खेती को बचा सकती है। यह झटका किसानों के लिए और भी खतरनाक झटका होगा।

हसनपुर, अमरोहा, जोया, धनौरा और उझारी जनप्रतिनिधियों के गृहनगर हैं जहां सत्ताधारी नेताओं के आवास हैं लेकिन इन शहरों में भी हालात बदतर हैं। बिजली के बदतर हालात पर वे खामोश हैं जबकि चुनाव के दौरान ऐसे लोग बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। जिले में सबसे बुरा हाल राज्यमंत्री कमाल अख्तर और विधायक अशफाक खां के इलाके का है। जबकि ये दोनों ही यहां सबसे बड़बोले नेता हैं।

शहरों में हालात खराब

शहरी क्षेत्रों में भी बिजली की दिक्कत से जूझ रहे लोग सरकार को कोस रहे हैं। घनी आबादी में सबसे बुरा हाल है। घर भट्टी बन गये हैं। जहां मौजूद महिलायें और बच्चे उबल रहे हैं। आधी रात तक मकानों में भीषण उमस से हालात बदतर हो रहे हैं। अमीरों के जेनरेटर गरीबों के घरों में धुंआधार प्रदूषण फैला रहे हैं। शोर शराबा सिरदर्दी का कारण बना है। ऐसे में कई जगह आपसी झड़पें और मारपीट के समाचार भी हैं।

310 करोड़ बिजलीघरों पर खर्च होंगे

सरकार ने नये बिजलीघर चालू करने के लिए 310 करोड़ रुपये दिये हैं। आला अफसरों का कहना है कि इससे बिजली की हालत में आशातीत सुधार होगा। लोगों का कहना है यह रकम यदि सौर ऊर्जा के लिए सौर पैनल आदि की खरीद में छूट पर खर्च कर दी जाती तो राज्य में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ जाता।

इसके अलावा इन बिजलीघरों की भूमि तथा स्टाफ आदि के खर्च को भी लगाया जाये तो सूबे की सौर ऊर्जा में बहुत इजाफा हो जाता। लेकिन उससे आयेदिन होने वाले खर्च में की जाने वाली हेराफेरी बंद होने से बिजली विभाग के भ्रष्ट कर्मियों की आमदनी कम हो जाती।

अधिकारी ऐसी योजनाओं पर धन बरबाद कराते रहते हैं जिनसे उनका उल्लू सीधा होता रहे भले ही जनता भाड़ में जाये। पहली अप्रैल से केन्द्र ने सौर पैनल पर सब्सिडी खत्म करके दिक्कत और बढ़ा दी।

-अमरोहा से मोहित सिंह और लखनऊ से मनिंदर सिंह की रिपोर्ट.