बाढ़ के लिए कितना तैयार है प्रशासन?

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पहाड़ों पर हो रही बरसात से गंगा का जलस्तर बढ़ा है। बाढ़ के हालात से निपटने के लिए प्रशासन कह रहा है कि उसने पूरी तैयारी कर ली है। हालांकि यह केवल मोटे तौर पर कहा जा रहा है, जबकि अंदरुनी स्तर पर अभी कुछ खास नहीं किया गया है।

बाढ़ चौकियां स्थापित करने की चुस्ती नहीं दिखाई जा रही जबकि मानसून आ चुका है। बरसात जगह-जगह हो रही है। गंगा में भी उसी कारण जलस्तर बढ़ रहा है।

डीएम वेदप्रकाश कह रहे हैं कि संबंधित विभागों को सचेत कर दिया गया है। प्रशासन ने पूरी व्यवस्था कर ली है। कंट्रोल रुम स्थापित करने की तैयारी जारी है।

flood in ganga picture

जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रुम पहले ही बना हुआ है। तहसील मुख्यालयों पर काम चल रहा है।

आपूर्ति विभाग को डीजल आदि की निश्चित मात्रा रिजर्व में रखने को कहा गया है। जिले के पशुपालन विभाग को भूसा आदि के इंतजाम की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रशासन की मानें तो उसने कर ली है।

सबसे अधिक प्रभाव पशुओं पर
बाढ़ से पशुओं को बहुत क्षति होती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ से उनके पशु बह जाते हैं या चारा न मिलने की वजह से मर जाते हैं। बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। बीमारी से भी पशुओं की मौत हो जाती है। प्रशासन पर आरोप लगते हैं कि वह हीलाहवाली कर रहा है। पशु पालकों के साथ दोयम दरजे का व्यवहार किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने से कतराते हैं।

-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.