त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेजी से जारी हैं। राजनैतिक दलों का सबसे अधिक जोर जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुखी चुनावों पर है। ग्राम पंचायत चुनावों में स्थानीय राजनीति हावी है। सत्ताधारी सपा और बसपा में जिला पंचायत चुनावों में जर्बदस्त प्रतिस्पर्धा की संभावना प्रबल होती जा रही है। पिछले कई दशकों का अनुभव बताता है कि इन चुनावों में हमेशा सत्ताधारी दलों का ही दबदबा कायम रहता है। मंत्री, विधायक तथा सत्ता से जुड़े लोग प्रशासन को भी एकजुट कर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास करते हैं जिससे वे प्रायः अपने मंतव्य में सफल भी रहते हैं। जिला पंचायत तथा बीडीसी सदस्य अध्यक्षों के चुनाव के दौरान सत्ता और धन बल के आगे झुक जाते हैं। जिससे अधिकांश जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख वही बनते हैं जो सत्ता पक्ष द्वारा मैदान में लाये जाते हैं।
बतौर सबूत गत चुनाव में बसपा की सरकार थी। अतः जिला पंचायत सदस्य अमरोहा में बसपा की हैं। उससे पूर्व सपा सरकार में यह पद रहा है। इस बार अधिकांश जिलों में भले ही जिला पंचायत तथा बीडीसी सदस्य किसी भी दल के अधिक हों लेकिन बाद में झुकाव सपा की ओर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे बसपा इस बार काफी मजबूत दिखाई दे रही है।
-लखनऊ से मनिंदर सिंह.