अमरोहा जिले में पिछले दिनों दुष्कर्म के कई मामले सामने आये। कुछ दबा दिये गये। पुलिस पर भी सवाल उठाये गये कि उसने पीड़ित पक्ष के साथ न्याय नहीं किया।
हाल में एक तीन साल के बच्चे से रेप किया गया। आरोपी किशोर पकड़ा और उसकी पिटाई की। गांव में पंचायत हुई। फैसला किया कि आरोपी इलाज का खर्च वहन करेगा। कमाल यह रहा कि इसमें दोनों पक्ष राजी भी हो गये।
जिले से पहले भी इस तरह के पंचायती फरमान आये हैं जिसमें आरोपियों को छोड़ दिया गया। एक युवती के साथ दुष्कर्म हुआ। पंचायत ने कहा कि आरोपी को जूते मारे गये और मामला वहीं खत्म हो गया।
उसी तरह एक मामले में दुष्कर्मी को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया गया। ऐसे बहुत से उदाहरण है जब बलात्कारियों को नाम मात्र की सजा दी गयी।
जबतक इस तरह की सजायें मिलती रहेंगी बलात्कार नहीं रुकेंगे। शायद हमारी पंचायतें यह कभी नहीं समझ पायेंगी कि बलात्कार की पीड़ा क्या होती है। शायद वे यह कभी नहीं जान सकते कि एक महिला के लिए यह कितना कठिन होता है।
न्याय के ठेकेदार लोगों का हौंसला बढ़ा रहे हैं जो घिनौने कृत्य कर रहे हैं।
अमरोहा में रेप पीड़ितों की आत्महत्या के मामले सामने आये हैं। कहा गया कि समाज के ताने से तंग आकर खुदकुशी की गयी। जबकि कई मामले संदिग्ध थे। अंतिम संस्कार भी चोरी छिपे हुए हैं।
दुष्कर्म के मामलों को गंभीरता से लेना होगा। सजा भी कठोर होनी चाहिए। वरना ऐसे ही पंचायतें बैठती रहेंगी और फैसले होते रहेंगे।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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