समाज यदि चिकित्सक को भगवान मानता है, तो चिकित्सकों का भी परम कर्तव्य है कि अपने पेशे को पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ इबादत समझकर करें। उक्त विचार वरिष्ठ चिकित्सक, समाजसेवी एवं जिंदल हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डा.बी.एस.जिंदल ने नेशनल डॉक्टर्स डे (राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस) के अवसर पर जिंदल हॉस्पिटल में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए व्यक्त किये।
डा.जिंदल ने कहा आजकल भौतिकता की अंधी दौड़ में चिकित्सा कार्य भी केवल एक व्यवसाय मात्र बनकर सिमट गया है। चिकित्सकों के अन्दर मरीजों के प्रति सेवा एवं दया की भावना समाप्त होने के कारण समाज में मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है। ऐसे में चिकित्सकों की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने चिकित्सकों का आह्वान करते हुए कहा कि इस कार्य को ईश्वरीय कार्य मानते हुए चिकित्सा पेशे में पूरी पारदर्शिता लाकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करें।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए धनौरा के विधायक माइकल चंद्रा ने कहा कि आज का दिन लोगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाले डाक्टरों के प्रति सम्मान व आभार व्यक्त करने का है। उन्होंने कहा कि डाक्टर का जीवन अपने लिए न होकर पूरी तरह समाज के लिए समर्पित होता है। वैसे तो हम सभी भगवान से अपने कष्टों के निवारण हेतु प्रार्थना करते हैं, लेकिन वास्तव में धरती पर केवल डॉक्टर ही हमारी पीड़ा व बीमारियों का उपचार करते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में डॉक्टर को दैव तुल्य माना जाता रहा है।

डॉक्टर्स डे पर आयोजित इस कार्यक्रम में गत वर्षों की भांति जिंदल हॉस्पिटल ने इस वर्ष, मंडल में चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ एवं एम. डी. हॉस्पिटल, चांदपुर के प्रबंध निदेशक डा. एस. के. गर्ग को उनकी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं के लिए शाल उढ़ाकर एवं प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डा. गर्ग ने कहा कि जिंदल हॉस्पिटल द्वारा समय-समय पर समाज सेवा एवं प्रतिभा सम्मान के कार्यक्रमों का आयोजन एक सराहनीय एवं आदर्श प्रयास है। धनौरा में ही जन्में डा.गर्ग ने सम्मान पाकर गौरवान्वित महसूस करते हुए कहा कि इस सम्मान को पाकर उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है।
उन्होंने बताया कि डॉक्टर दिन रात अपने रोगोयों की सेवा करता है, लेकिन आम लोगों की अपेक्षाएं फिर भी यही रहती है कि डॉक्टर चौबीसों घंटे रोगी के पास ही बैठा रहे। उन्होंने कहा कि मरीज के तिमारदार ये भूल जाते हैं कि डॉक्टर भी उन्हीं की भांति एक इन्सान है, जिसका अपना एक परिवार होता है, उसकी जिम्मेदारी होती है। विश्व के 14 देशों में चिकित्सा गोष्ठियों में भाग ले चुके डा. गर्ग ने बताया कि आज हॉस्पिटल का संचालन बहुत ही जटिल हो गया है, क्योंकि मरणासन्न अवस्था में लाये गए रोगी की अस्पताल में स्वत: ही मृत्यु हो जाने पर भी निर्दोष चिकित्सक को अपनी जान बचाने तक के लाले पड़ जाते है। इस तरह की ख़बरें आय दिन समाचार पत्रों में पढने को मिलती हैं।
उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि मुकदमों की सुनवाई हेतु सुप्रीम कोर्ट के वकील की लाखों रुपयों की फ़ीस चुकाते वक्त भी लोग इतना हल्ला नहीं करते जितना एक मरीज की जान बचने के बाद दवाओं के खर्च को चुकाते हुए करते हैं। उन्होंने कहा की चिकित्सा समाज में फ़ैल रहे भ्रष्टाचार के लिए मात्र चिकित्सक ही नहीं, बल्कि खुद समाज भी जिम्मेदार है। अत: जिस प्रकार डॉक्टर अपने रोगी की पीड़ा को समझकर उसका उपचार करता है, उसी प्रकार समाज को भी चिकित्सक की भावनाओं को समझकर उनके साथ अच्छा व्यवहार करना होगा।
इस अवसर पर बोलते हुए जिंदल हॉस्पिटल के चिकित्साधिकारी डा. दिलबाग जिंदल ने बताया कि सम्पूर्ण भारत में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे, डॉक्टर के प्रति रोगी की कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिन मरीजों के द्वारा आभार व्यक्त करने पर, डॉक्टर को अपनी ज़िम्मेदारी कर्तव्यनिष्ठा के साथ निभाने हेतु प्रेरणा प्रदान करता है। डॉक्टर्स डे के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंनें कहा कि इसी दिन भारत रत्न से सम्मानित महान चिकित्सक डा. बिधान चन्द्र रॉय का जन्म सन 1882 में हुआ था और इसी दिन 80 वर्ष की आयु में सन 1962 में उनका देहांत हो गया। उनके महान सेवा कार्यों के सम्मान हेतु भारत सरकार ने जुलाई 1 को नेशनल डॉक्टर्स डे घोषित कर दिया।
इस अवसर पर डॉ. राधा जिंदल, डॉ. सिद्धराज सिंह, डॉ. याकूब अली, डॉ. एच. के. गर्ग, डॉ. रामनाथ आर्य, डॉ. आदित्य कुमार, डॉ. संदीप आर्य, डॉ. शिवानी आदि अनेकों डॉक्टर उपस्थित थे।
-टाइम्स न्यूज़ मंडी धनौरा.
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