पंचायती राज राज्यमंत्री कमाल अख्तर लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि 2016 तक प्रदेश में बिजली की स्थिति सुधर जायेगी। सरकार गंभीरता से इस कार्य में जुटी है।
यदि कमाल अख्तर की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले अमरोहा जिला भी जगमगाने लगेगा। मतलब यह कि बिजली सुधार में एक साल से कम समय बचा है।
स्थानीय जनता उनसे किसी भी तरह सहमत नजर नहीं आ रही। लोग पूछ रहे हैं कि समाजवादी सरकार एक साल में क्या जादू कर देगी जो उसने पिछले दो साल में नहीं किया? पिछली सरकारें भी इसी तरह के वादे करके चली गयीं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। वादे करना तो नेताओं की फिदरत होती है। वे वादे करके और लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं।
गांवों के हाल बेहाल
उझारी, रहरा, ढक्का आदि गांवों में बिजली की हालत बेहद खराब है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय हमने नेताओं का रंग देखा है। वे बातों का पिटारा लगा देते हैं। वादे ही वादे हवा में तैर रहे होते हैं। उनके हाथ जोड़ने का तरीका भी निराला होता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि गांवों में कई स्थानों पर बिजली के खंभे तक नहीं। कई जगह ऐसी हैं जहां खंभे लगा दिये गये, लेकिन तार नहीं। दशकों बाद भी बिजली नहीं पहुंची। नंगे खंभे ढहने को तैयार हैं। कई की हालत जर्जर हो चुकी।
अधिकारी और कर्मी भ्रष्टाचार में लिप्त
बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। बिजली घरों की मरम्मत आदि कार्यों के लिए जो सरकार की ओर से धन आता है उसमें बंदरबांट की खबरें सामने आयी हैं।
आरोप लगाये गये हैं कि विभागीय कर्मी खुलकर भ्रष्टाचार का खेल खेलते हैं। ग्रामीणों से अवैध वसूली की बात तो आम है। जर्जर तारों को बदला नहीं जाता, जबकि बिजली विभाग के पास नये तार मौजूद हैं।
बिजली बिलों में हेराफेरी करने से भी विभाग बाज नहीं आता। पैसे लेकर बिजली बिल कम किये जाते हैं। वह पैसा विभागीय अधिकारी, दलाल आदि के पास जा रहा है। इस तरह सरकार को भी करोड़ों रुपये का हर साल चूना लगाया जा रहा है।
पुराने बिजली उपकरणों आदि को भी सस्ते में बेच दिया जाता है। वहां भी ठेकेदार और दलाल सक्रिय हो जाते हैं।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिजली विभाग खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है। उसके दिन सुधरने में लंबा समय लग सकता है या यह ऐसे ही चलता रहेगा।
-टाइम्स न्यूज़ हसनपुर.
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