किसानों की फसल गर्मी के थपेड़ों को सहन नहीं कर पा रही और सूख रही है। विद्युत समस्या एक दानव की तरह उनके सामने खड़ी है, जिसके निदान के लिए किसान मजबूरी में प्रदर्शन कर रहे हैं, पर समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा।
शायद ही कोई ऐसा दिन जा रहा हो, जब आम लोग या किसान बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन या नारेबाजी न कर रहे हों। पूरे जिले में विद्युत व्यवस्था चरमरा गयी है। आम लोगों से लेकर किसान तक इससे परेशान हैं। विभाग अपना रोना अलग रो रहा है। विरोध प्रदर्शन के कारण लोग सड़कें जाम कर रहे हैं। इससे सभी को हानि हो रही है।
भरोसा कब तक दिया जाता रहेगा?
बिजली की परेशानी पर लोग भड़के हैं, प्रदर्शन करते हैं और अधिकारी उन्हें केवल समस्या के समाधान का भरोसा दिलाते हैं। लेकिन विद्युत समस्या जस की तस रहती है। उधर विभाग कहता है कि प्रदेश में ही बिजली की कमी है।
ऐसा लगता है इस बार भरोसा और बेहाल करती गर्मी लोगों का जीना मुहाल कर देगी।
किसानों की टूट रही है रीढ़
सबसे ज्यादा परेशान इस समय किसान हैं क्योंकि उनकी फसलें उनकी आंखों के सामने खड़ी सूख रही हैं। उनकी मेहनत और लागत शायद ही उन्हें हासिल हो। कई किसान ऐसे हैं जिनकी फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी। उसकी लागत छोड़ो, उन्हें फूटी कौड़ी नहीं मिल सकी।
प्रदर्शन को बाध्य हैं किसान
किसानों की इसे मजबूरी ही कहा जायेगा कि वे सड़कों, हाइवे आदि को जाम कर रहे हैं। मगर उनके प्रदर्शनों और धरनों का कोई फायदा होता नहीं दिख रहा। किसान यूनियन के कार्यकर्ता किसानों के लिए आगे आ रहे हैं ताकि उनके किसान भाईयों को विद्युत समस्या से कुछ निजात मिल सके।
सबसे अधिक दुख एक किसान को होता है जब वह मेहनत से बोये बीज को अंकुरित होते नहीं देखता। उसकी आंखें नम हो जाती हैं जब उसकी पली-पलाई फसल उसके सामने स्वाह हो जाती है। वह तब मन मसोस कर रह जाता है। इसके अलावा एक गरीब किसान भला कर भी क्या सकता है?
-गजरौला टाइम्स के लिए अमरोहा से मोहित सिंह.