मिड-डे मील में खुलेआम धांधली की जा रही है। इसमें शिक्षा विभाग की ओर से भी घालमेल की बात भी सुनने को मिल रही है। बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने में उन्हें किसी तरह की शर्म या भय नहीं। तभी आयेदिन मिड-डे मील की गुणवत्ता पर सवाल उठाये जा रहे हैं।
इसी वर्ष अप्रैल महीने में मिड डे मील की गुणवत्ता की जांच की गयी थी। इसके लिए एक टीम का गठन हुआ था जो जिले के परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे मील की जांच करने के लिए गयी थी।
21 स्कूलों की जांच हुई थी जिनकी रसोई से खाद्य सामग्री के नमूने लखनऊ भेजे गये थे। वहां प्रयोगशाला में उनकी गहनता से जांच हुई।
25 अप्रैल को रिपोर्ट सामने आयी जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आये। कुल सैंपल में से दो सैंपल फेल पाये गये।
पाकबड़ा के प्राथमिक विद्यालय से नमूने के तौर पर ली गयी अरहर की दाल में कीड़े पाये गये। दाल की गुणवत्ता भी बेहद घटिया बतायी गयी है।
पीतल बस्ती स्थित एक गैर सरकारी संस्था से दलिया का सैंपल भी फेल पाया गया। उसमें भी कीड़े मिले।
इससे स्पष्ट हो गया कि बच्चों की सेहत से किस तरह खिलवाड़ हो रहा है। मिड-डे मील पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। जांच के बाद स्थिति और स्पष्ट हो गयी है कि यहां कोई कहने सुनने वाला नहीं है।
कहा जा रहा है कि यह जांच खानापूर्ति ही साबित हो सकती है। जबतक शिक्षा विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं होंगे और धांधली होने से नहीं रोकेंगे तबतक यह क्रम चलता रहेगा।
सबसे पहले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
-टाइम्स न्यूज़ मुरादाबाद.
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