मौत के मुहाने पर नोबल स्कूल के बच्चे

noble public school at gajraula

नोबल पब्लिक स्कूल और जुबिलेंट लाइफ साइंसेज लि. एक दूसरे से सटे हैं। यह सभी जानते हैं कि इस औद्योगिक इकाई में कैमीकल्स बनाये जाते हैं। वैसे भी यहां प्रदूषित गैस का प्रभाव रहता है। इस इकाई का संवेदनशील कैमीकल प्लांट स्कूल के करीब है। छोटी इकाईओं में भी दुर्घटनायें हो जाती हैं जो सामान्य बात है। इतनी विशाल इकाई में कई बार इस तरह के मामले प्रकाश में आये हैं। मौतों और घायलों का सिलसिला भी उद्योगों में चलता ही रहता है।

कुछ वर्षों पूर्व स्कूल से चंद कदम दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कैमीकल के एक खाली कैंटर में बैल्ड के दौरान विस्फोट से उसका एक हिस्सा उड़कर स्कूल के बराबर में दक्षिणी दीवार के पास गिरा था। यदि वह एक-दो मीटर उत्तर में उड़ता तो स्कूल की कई कक्षायें उसके निशाने पर होते। भारी जानमाल की क्षति होती। बच्चे भी उसकी जद में आ जाते। यह तो खाली कैंटर में एक-आध किलो कैमीकल के कारण हुआ था।

जिस फैक्ट्री में हजारों लीटर कैमीकल उच्च तापमान पर बनता हो वहां मामूली चूक या मशीनी गड़बड़ी से बड़ा हादसा भी हो सकता है। स्कूल प्रबंधक, शिक्षा विभाग, सुरक्षा विभाग और अभिभावक इस खतरे से अंजान क्यों हैं? सैंकड़ों अबोध छात्र-छात्राओं के जीवन से क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है।

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यह तो अच्छा ही है कि अभी तक स्कूल ऐसी किसी दुघर्टना की चपेट में नहीं आया, लेकिन क्या कभी कोई दुर्घटना नहीं होगी, इसकी गारंटी किसके पास है?

दिखाई देने वाली दुर्घटना भले ही न हुई हो लेकिन इस स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाये तो उनमें से बहुत से बच्चों में प्रदूषित गैस के कुप्रभाव के लक्षण जरुर मिलेंगे। शिक्षा पूरी करने तक ये बच्चे अपने अंदर कई तरह का घातक संक्रमण लेकर यहां से निकलेंगे। यह हम नहीं कहते। कोई भी इस स्कूल में पछुवा हवा के दौरान दस मिनट खड़ा होकर देख ले उसे स्वयं महसूस हो जायेगा कि स्कूल प्रदूषित वातावरण के केन्द्र में है।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.

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