मंगलवार से संसद का मानसून सत्र शुरु हो रहा है। भाजपा को घेरने के लिए विपक्ष ने तैयारी पहले से ही कर ली है। विपक्ष के हमलों का जबाव देने के लिए भाजपा भी अपने पैर पीछे नहीं खींच रही।
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के बाद शिवराज सिंह चौहान विवादों में घिरे हैं। भाजपा नहीं चाहेगी कि इनकी वजह से वह बैकफुट पर आये। इसलिए रणनीति के तहत पार्टी रक्षात्मक नहीं होगी। हर सवाल का करारा जबाव दिया जायेगा।
रविवार की बैठक में गहन चर्चा की गयी। रणनीति तैयार की गयी तथा विपक्ष को जबाव देने की तैयारी की गयी।
संसद सत्र में उम्मीद है कि सबसे ज्यादा हमले वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के मसले पर होने हैं। सुषमा और ईरानी का नंबर बाद में आ सकता है। ऐसा बिल्कुल नहीं कि ललित मोदी चर्चा का विषय नहीं होंगे। जब-जब ललित मोदी का जिक्र छेड़ा जायेगा सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे हमले की जद में होंगे। साथ ही पीएम नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर भी विपक्ष हमलावर रहेगा।
स्वयं भाजपा भी समझ रही है कि बीज बोये जा चुके हैं। अब उनपर मिट्टी नहीं डाली जा सकती। इसलिए रक्षात्मक रुख अपनाना भी गलत होगा।
भाजपा सीधा मुकाबला करेगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की आय से अधिक संपत्ति के मसले पर वह वार करेगी। लेकिन यह कहना भी गलत नहीं कि भाजपा के पास हमला करने के लिए उतना मसाला नहीं है। गिने चुने मुद्दों को लेकर ही वह अपना काम चला सकती है।
जमीन अधिग्रहण बिल सबसे अधिक गरमा गरमी वाला विषय रहेगा। इसे लेकर कांग्रेस सहित अन्य दल केन्द्र सरकार को पहले से ही घेर रहे हैं। अध्यायदेश लाये जा रहे हैं और बिल पास नहीं हो रहा। किसानों को लेकर भाजपा की नीतियों की आलोचना आम है।
-टाइम्स न्यूज़ नई दिल्ली.