पुलिस विभाग की लापरवाही पर फिर सवाल खड़े हो गये हैं। ऐसा लगता है जैसे मुजरिमों से पुलिस की यारी हो गयी है। सबसे मजेदार यह कि पुलिस अभिरक्षा से कैदी को फरार होने में अधिक दांवपेच की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। आसानी से वह भाग जाता है। इनमें रेलवे स्टेशन से कई कैदी पुलिस की पकड़ से छूटकर भाग निकले।
पिछले कुछ सालों में ही कई कैदी पुलिस कस्टडी से खुद को छुड़ाकर गायब हो गये। बाद में तैनात पुलिस वालों ने ऐसी कहानियां बनाईं जिनमें छेद ही छेद निकले। उनसे स्पष्ट हुआ कि इस तरह तो छोटा बच्चा भी गच्चा दे सकता है।
शातिर शांतनु भाग निकला
ताजे मामले में शातिर अपराधी शांतनु अमरोहा रेलवे स्टेशन से भाग निकला। उसे बागपत में कोर्ट पेशी के बाद नौचंदी एक्सप्रेस से वापस लखनऊ ले जाया जा रहा था। उसके साथ दो सिपाही अश्वनी कुमार और दुगेन्द्र सिंह तथा एक एचसीपी दुर्गाशरण राय थे। गाड़ी के अमरोहा स्टेशन पर रुकते ही सिपाही अश्वनी कुमार शांतनु को चाय पिलाने प्लेटफार्म पर ले गया। तभी रेलगाड़ी चल पड़ी। भागकर सिपाही ने उसे डिब्बे में चढ़ा दिया। जैसे ही सिपाही चढ़ने को हुआ शांतनु ने उसे धक्का देकर प्लेटफार्म पर गिरा दिया। बताया जाता है कि इसी दौरान सिपाही के हाथ से कैदी की हथकड़ी फिसल गयी।जीआरपी चौकी पर सिपाही ने सूचना दी। रेलगाड़ी को मुरादाबाद जंक्शन पर भी चैक किया गया लेकिन शांतनु का कहीं पता नहीं चल सका।
सिपाही नशे में था
शांतनु जिस सिपाही को धक्का देकर फरार हुआ वह नशे में था। इस बात की पुष्टि बाद में मेडिकल परीक्षण में हो गयी।इससे कई बातें खुल गयी हैं कि पुलिस कैदियों के मामले में कितनी लापरवाह है। संवेदनशील मामलों में भी वह ध्यान नहीं दे रही।
सभी को सस्पेंड किया गया
एसएसपी लखनऊ राजेश कुमार पांडेय ने बाद में दोनों सिपाहियों अश्विनी कुमार और दुगेन्द्र सिंह तथा एचएसपी दुर्गाशरण राय को बर्खास्त कर दिया।ये हुए हैं फरार
2012 में गजरौला रेलवे स्टेशन से इसरार नाम का अपराधी फरार हुआ था। मरेठ का बदमाश गुड्डू भी अमरोहा जिले से ही फरार हो गया। 2013 में हसनपुर में कचहरी की दीवार फांदकर दो लोग भाग गये थे। पुलिस उन्हें आजतक नहीं ढूंढ पायी।2014 में नौगांवा सादात के अक्खा नंगला का रहने वाला बदमाश संजीव कुमार अमरोहा स्टेशन से भाग निकला था।
गजरौला के सादुल्लापुर का शातिर कंचन दो बार पुलिस कस्टडी से भागने में कामयाब रहा। 2014 में वह तिहाड़ जेल से लौटते हुए भानपुर क्रासिंग से चकमा देकर भाग निकला। बाद में उसे इसी साल मार्च में पकड़ लिया गया। अप्रैल में वह फिर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया। लेकिन जून में उसे बाबूगढ़ में पकड़ा गया।
अमरोहा एक तरह से कैदियों की फरारी के लिए बुरी तरह बदनाम हो चुका है। अधिकतर अपराधी यहां के रेलवे स्टेशनों से भाग निकले हैं। पुलिस की लापरवाही इसमें सामने आती है और वह संदेह के घेरे में आने से नहीं बच पाती।
-गजरौला टाइम्स अमरोहा.