अमरोहा शहर में दो बूंद बरसते ही जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अधिकांश मोहल्लों की नालियां उबलकर सड़कों पर आ जाती हैं। बरसाती मौसम में घनी आबादी वाले मोहल्लों-घरों तक में पानी भर जाता है। सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। वहां से गुजरना एक बड़ी मुसीबत बन जाता है। लोग पालिका प्रशासन को कोसते हैं। गंदे पानी और गंदगी के कारण संक्रामक रोग तेजी पकड़ लेते हैं। लोग जलनिकासी की मांग उठाते हैं। अगली बरसात तक कुछ नहीं कहते। कई स्थानों पर तो बिना बरसात के ही रास्तों में गंदा पानी फैल जाता है।
वास्तव में जलभराव और नगर में व्याप्त गंदगी को हटाकर नगर को स्वच्छ और अतिक्रमण मुक्त कराना पूरी तरह संभव नहीं है। हालात ऐसे हैं कि गंदगी और जलभराव की समस्या अमरोहा की दो तिहाई आबादी को यहां से उजाड़कर दूसरी जगह बसाने से ही दूर हो सकती है।
जिस प्रकार यह शहर बसा है उस अवस्था में कोई ऐसा फ़ॉर्मूला नहीं जिससे जल-भराव, यातायात और गंदगी की समस्यायें समाप्त हो सकें.
पुराने शहरों की भांति यह शहर भी अव्यवस्थित रुप से बसा है। नगर में तंग रास्ते हैं। उनके दोनों ओर बेहद घनी आबादी बसी है। नगर के बाहर के रास्ते ऊंचे किये गये हैं जबकि नगर का अधिकांश क्षेत्र गहराई में है। इसी कारण अंदर का पानी बाहर नहीं निकल पाता। अंदर के मार्गों को ऊंचा करना इस लिए संभव नहीं कि पहले ही नीचे हो चुके मकानों और दुकानों में जल भर जाता है। तंग रास्तों में निकलना मुश्किल हो जाता है। जब से यहां जिला बना है तब से नगर में और भीड़ बढ़ी है। इसी कारण यहां से गुजरना आसान नहीं। सभी जगह लोग जाम से जूझने में लगे रहते हैं। जो बस्ती के अंदर तालाब थे उनमें भराव डालकर निर्माण कराये जा रहे हैं। इससे आगामी बरसात में लोगों के सामने जल भराव और गंदगी की समस्या और भी विकराल रुप में आयेगी। दिन-प्रतिदिन ये समस्यायें बढ़ती जायेंगी।
जिस प्रकार यह शहर बसा है उस अवस्था में कोई ऐसा फ़ॉर्मूला नहीं जिससे जल-भराव, यातायात और गंदगी की समस्यायें समाप्त हो सकें। यहां के निचले स्थानों के भवनों को तोड़कर चौड़ी सड़कों और उनके दोनों ओर नाले व नालियां बनें तो दोनों समस्याओं का समाधन हो सकता है। अन्यथा कोई रास्ता नहीं जो इन समस्याओं को समाप्त करा सके। लोगों को शहर से बाहर भी नहीं किया जा सकता। अतः समस्यायें बनी रहेंगी।
यह शहर बहुत अव्यवस्थित रुप से बसा है जिसका खामियाज़ा स्थानीय निवासी तो भुगत ही रहे हैं बल्कि यहां खरीददारी करने आने वाले लोग भी प्रायः परेशान ही रहते हैं। यहां के लोगों को आराम के लिए कुछ तो त्याग करना ही पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो भविष्य में और भी अधिक परेशानियां पड़ेंगी।
-गजरौला टाइम्स के लिए हरमिंदर सिंह.
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