जिलापूर्ति अधिकारी, राशन प्रणाली और भ्रष्टाचार

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जिले भर में राशन प्रणाली और मिट्टी के तेल वितरण की व्यवस्था में भ्रष्टाचार व्याप्त है। यह जानकारी ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव से लेकर जिला पूर्ति अधिकारी तक सभी को है। आयेदिन किसी न किसी गांव से जिला मुख्यालय पर भी ग्रामीणों द्वारा वितरण प्रणाली में की जा रही धांधली की शिकायतें की जाती रहती हैं। कभी-कभी तो पूरा गांव ही इस व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए जिला मुख्यालय तक आंदोलन छेड़ने चला जाता है। लेकिन न तो जिलापूर्ति अधिकारी और न ही कोई अन्य अधिकारी इस ओर ध्यान देता है।

ग्रामीण शोर मचाकर अपनी बात कहते भी हैं तो उनसे ज्ञापन लेकर अधिकारी अपनी जेब में डाल लेते हैं और आश्वासन देते हैं कि शीघ्र ही डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

राशन प्रणाली में जिसने एक बार लाइसेंस ले लिया कोई माई का लाल उसे रद्द नहीं करा सकता.

दिन, हफ्ते और माह गुजर जाते हैं लेकिन उस डीलर का कोई कुछ नहीं बिगड़ पाता। नीचे से लेकर जिला क्या लखनऊ तक सभी कर्मचारी और ऑफिसर एक ही थैली के चट्टे-बट्टे निकलते हैं। जनता अच्छी तरह जान चुकी कि राशन प्रणाली गरीबों के बजाय अफ्सरों तथा डीलरों की थोंद भरने वाली ही सिद्ध हो रही है।

नीचे से ऊपर तक की राजनीति के लिए भी यहीं से धन एकत्र किया जा रहा है। एक ओर जहां ईमानदारी का ढोल पीटा जा रहा है वहीं बार-बार छुटभैये नेताओं को चंदा वसूली का काम सौंपा जा रहा है।

अधिकारी भी जानते हैं कि ऊपर बैठे सत्ताधीश पैसों की मांग कर रहे हैं। तो वे भी अपने नीचे वालों से वसूलने में क्यों कोताही बरतें। लगभग सभी राशन डीलरों की शिकायते हैं। और जांच के आदेश भी होते हैं।

जांच भी होती है लेकिन जांचकर्ताओं को भ्रष्ट राशन विक्रेताओं के खिलाफ कोई प्रमाण ही नहीं मिलता। या तो जांचकर्ता और राशन वाले मिले हुए हैं या उनकी शिकायत करने वाली जनता झूठी है?

राशन प्रणाली में जिसने एक बार लाइसेंस ले लिया कोई माई का लाल उसे रद्द नहीं करा सकता। सारा माल ब्लैक कर लो कोई रोकने वाला ही नहीं। नियमित और सही वितरण करने वाला विक्रेता भले ही फंस जाये। वह ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, पुलिस वाले, छुटभैये नेता और पूर्ति निरीक्षक आदि को कहां से देगा। यही तत्व हैं जो राशन प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.

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