आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के उम्मीदवार पूरी तरह मैदान में आयेंगे। फिलहाल जिला पंचायत में भाग लेने वाले चंद चेहरे ही थोड़े सक्रिय हैं फिर भी एक चीज इस चुनाव में अभी से साफ नजर आने लगी है। इस बार जिला पंचायत के बोर्ड में अधिकांश नवयुवक होंगे, जिनमें कई उच्च शिक्षा प्राप्त भी होंगे। यह बदलाव जिले की नयी राजनैतिक दिशा तय करेगा।
हमारे सामने अबतक जिला पंचायत चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले लगभग ढाई दर्जन लोगों के नाम आ चुके हैं। जिनमें सभी नवयुवक हैं तथा अधिकांश उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। कई तीस साल से नीचे के हैं जबकि कुछ नवयुवक छात्र नेता हैं और अनेक छात्र राजनीति से निकलकर इधर आ रहे हैं।
यह पूरी उम्मीद के साथ कहा जा सकता है इस बार का जिला पंचायत बोर्ड दिल्ली की केजरीवाल सरकार की विधानसभा की तरह अबतक का सबसे युवा बोर्ड होगा जो नवयुवक चुनावी जंग में भाग लेने वाले हैं अथवा ले रहे हैं, वे काफी वाकपटु, तेजतर्रार तथा परिपक्व और बेहतर छवि वाले हैं। इसलिए जनता उन जाने पहचाने पुराने चेहरों से भी पीछा छुड़ाना चाहती है जो उल्टे सीधे बहाने कर चुनाव जीतते हैं। बाद में उधर मुड़कर भी नहीं देखते। लोगों से बात करने पर भी यही पता चलता है कि वे नवयुवकों को छोटी पंचायतों का प्रतिनिधित्व सौंपना चाहते हैं। ऐसे में उम्रदराज और पुराने घिसे-पिटे नेता बड़ी तैयारी के साथ मैदान में जायें तो बेहतर होगा और नवयुवकों को अपने प्रचार के लिए भी इस बार उन्हें भारी जद्दोजहद का सामना करना पड़ सकता है।
चुनावी समर में भाग लेने वाले नवयुवक हैं -दीपक भड़ाना, शुभनीत सिंह, निरंजन सिंह, अजीत सिंह, वीरेंद्र सिंह, वेदपाल सिंह, भूपेन्द्र सिंह, कामेंद्र सिंह, पायल चौधरी, मंजीत सिंह, आदि।
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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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