भारतीय जनता पार्टी और बसपा से जिला पंचायत के लिए टिकट लेने वालों की लंबी सूची है। ऐसे लोग दोनों दलों के जिला स्तरीय नेताओं से लेकर ऊपर तक कोशिश में लगे हैं। भाजपा से चुनाव लड़ने की कामना करने वाले कई नवयुवक जिलाध्यक्ष गिरीश त्यागी के पास चक्कर लगा रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव लड़ने की आशा रखने वालों की संख्या अधिक है। इसलिए अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पा रहा। कई बार-बार जाने से स्वयं ही मैदान से हट गये या फिर खम ठोक कर मैदान में उतरने की तैयारी में जुटे हैं।
उधर बसपा से चुनाव में लड़ने वाले गैर दलित अधिक हैं। उनका गणित है कि वे अपनी तथा दलित बिरादरी के जोड़ से मैदान मार आर्य और हाजी शब्बन के दरबार में बार-बार दस्तक दे रहे हैं। यहां स्वीकृति बहन जी देने की बात हो रही है।
सपा अपने कई उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी और जो नहीं उतार सकी उनका यहां के बड़े नेताओं को पता है जो आपस में बेहतर तालमेल बनाकर चल रहे हैं तथा समय पर मैदान में ले आयेंगे। सपा नेता हर हाल में अधिक से अधिक सदस्य विजयी बनाकर जिला पंचायत की कुर्सी बसपा से छीनने की कोशिश में हैं।
भाजपा भी यही चाहती है। लेकिन जिला स्तरीय नेतृत्व की लापरवाही विधायक विहीन दल, सांसद का क्षेत्र से दूरी बनाना, कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा तथा जनाधार के सूखे ढोल पीटने के अलावा इस पार्टी के पास कुछ भी नहीं है। हां बसपा ही यहां सपा से टक्कर ले सकती है। उसका टीम वर्क और जनसंपर्क आज भी बेहतर और भाजपा से आगे है।
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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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