गजरौला में मौसम रात से बरसाती था। यह बे-मौसम बरसात बिल्कुल नहीं थी। सप्ताह के अंत में बारिश हो रही थी इसलिए उतनी ज्यादा परेशानी की बात भी नहीं हो सकती। लेकिन एक बात है कि उमड़-घुमड़ वाला शोर सुनाई नहीं दिया।
सुबह से बूंदाबांदी होती रही। शाम को मौसम साफ हो गया। मौसम विभाग की बात माननी लोगों ने छोड़ दी है क्योंकि लोग कहते हैं कि मौसम वाले कुछ भी बता देते हैं, सही भी, गलत भी।
एक समझदार मित्र ने उस दिन मुझे समझाने की कोशिश की कि मौसम विभाग के पास इस तरह के मजबूत और भरोसे वाले उपकरण हैं नहीं जो वह दावा कर सके कि मौसम में ये बदलाव होंगे। तब मैंने कहा था कि मौसम वाले भी कन्फयूज हो सकते हैं। आखिर में वे भी तो इंसान हैं।
कुछ दिन पहले कूलर को साफ किया था। आजकल उसकी जरुरत महसूस नहीं हो रही। छत वाले पंखे से काम चल रहा है।
लोकल
गजरौला के रमाबाई डिग्री कालेज में एक लैबकर्मी की कुछ युवकों ने पिटाई कर दी। वह उन्हें कालेज परिसर में शराब पीने को मना कर रहा था। उसी दिल यहां दो एंबेलैंस चालक भी आपस में भिड़ गये। एक बीमार महिला को गांव तक वापस ले जाना था।सबसे हैरानी की बात यह रही कि दिन झगड़ों और मारपीट की घटनाओं के नाम अधिक रहा। अमरोहा जिले में छोटी और मोटी बातों पर कई जगह मारपीट हुई। पता नहीं लोग इतने उग्र क्यों हो रहे हैं?
किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही। उन्हें समय से बिजली नहीं मिल रही। वे कई बार डबल ग्रुप सप्लाई की मांग कर चुके, लेकिन बिजली महकमा बहाना करने के बाद किसानों को टरकाने में माहिर हैै। किसान कहते हैं कि बरसात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। बिजली विभाग से कहते हैं और प्रदर्शन भी करते हैं, मगर वही ढाक के तीन पात।
अमरोहा में बरसात के कारण सड़कें हर बार की तरह पानी में डूबी नजर आयीं। बरसात और अमरोहा की सड़कों-गलियों का किस्सा सुनते-सुनते लोग बोर हो गये। वहां की पालिका मानो सोयी है। वैसे वह कुछ खास कर नहीं सकती। भ्रष्टाचार की जड़ें जब मजबूत होती हैं, तो स्थितियां उस माहौल में भयावह होती ही हैं।
राजनीति
पीएम नरेन्द्र मोदी पर कुछ जानेमाने पत्रकार और लेखक अपना मत व्यक्त कर रहे हैं। इसपर भाजपा समर्थकों को लग रहा है कि ज्यादा हो रहा है। जबकि सवाल उठाये जा रहे हैं कि क्या मोदी भी कमजोरी का एहसास करा रहे हैं।सुषमा स्वराज को लेकर घमासान जारी रहेगा। संसद तो विपक्ष ने ठप कर अपनी ‘बाहदुरी’ पेश की है, लेकिन कामकाज न करने देना कहां तक जायज है, यह समझ नहीं आता। वैसे पक्ष और विपक्ष दोनों मोरचे पर डटे हुए हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर भाजपा में अजीब स्थिति बनी हुई है। बिहार की राजनीति इससे रोमांचक होने की तैयारी में है।
फिल्म
'बाहुबली' फिल्म अभी तक देखी नहीं। उसे देखने की कोई योजना भी नहीं। कुछ मित्र कह रहे थे कि उन्होंने फिल्म को एक बार से अधिक देखा। मैं फिल्में उनकी कमाई या दूसरों द्वारा प्रशंसा के कारण नहीं देखता। समय मेरे लिए अहम है। लेकिन कर्लस इन्फिनिटी जैसे नये चैनल के एक धारावाहिक 'फॉरएवर' के किसी एपिसोड को नजरअंदाज नहीं किया। मैं मानता हूं कि कुछ कहानियां होती हैं जानी-पहचानी लेकिन उनकी प्रस्तुति का तरीका शानदार होता है।-हरमिन्दर सिंह.
गजरौला टाइम्स के ताज़ा अपडेट प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज से जुड़ें.