अंशु की मजबूती के अहसास से विरोधी दायें-बायें

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वार्ड दस जिला पंचायत का सबसे चर्चित चुनावी मैदान माना जा रहा था जिसमें सबसे अधिक उम्मीदवार मैदान में आना चाहते थे लेकिन सपा उम्मीदवार अंशु नागपाल की यहां धमक होने के बाद उम्मीदवारों की संख्या कम होने लगी।

यहां भाजपा और बसपा से टिकट मांगने वालों की लंबी कतार थी जबकि कुछ लोग निर्दलीय ही मैदान में कूदने को बेताब थे। इनमें सभी नवयुवक थे और अधिकांश पहली बार इस चुनाव का स्वाद लेने वाले थे।

अंशु नागपाल के आने के बाद चुनाव लड़ने के अभिलाषी मायूस हैं और कई तो बिल्कुल खामोश हैं बल्कि कुछ ने अब मैदान में नहीं आने का फैसला कर लिया है। बसपा में एक ऐसे नेता हैं जो पहले चुनाव की तैयारी कर चुके थे तथा अब पार्टी के बड़े नेताओं के कहने के वावजूद आगे आने से बहानेबाजी कर रहे हैं।

भाजपा उम्मीदवार बनने की जीतोड़ कोशिश करने वाला एक युवा अध्यापक अब घर से स्कूल तक और स्कूल से घर तक जाने के अलावा दूसरी किसी गतिविधि में शामिल ही नहीं हो रहा।

एक तरह से यहां मजबूती से चुनाव लड़ने वाली भाजपा और बसपा दोनों ही पार्टियों को उम्मीदवार तैयार करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। केवल वेदपाल सिंह, भूपेन्द्र सिंह तथा पायल चौधरी ही मैदान में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

अंशु नागपाल की प्रचार मंडली कई वाहनों से वार्ड में घूम रही है। संपर्क और समर्थन की अपील जारी है। पूर्व सांसद देवेन्द्र नागपाल चुनाव अभियान का संचालन कर रहे हैं। उनके समर्थक अंशु को जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदार के रुप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

लोगों को बताया जा रहा है कि वे सदस्य के बजाय अध्यक्ष को चुनें क्योंकि अध्यक्ष के हाथ में पूरे जनपद की बागडोर होगी। वे नागपाल के विधायकी कार्यकाल की सेवाओं को भी सामने रख रहे हैं। यह तर्क लोगों पर असरकारक सिद्ध हो रहे हैं।

चुनावी संसाधनों में तो पूरे जनपद का कोई नेता ही शायद देवेन्द्र नागपाल की समानता कर सके। उनके आवास पर क्षेत्रीय मतदाताओं का आवागमन बढ़ना शुरु हो गया है। सारे उम्मीदवार मैदान में आने के बाद स्थिति बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगी।

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-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.

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