कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे बजाने को प्रतिबंधित करने को लेकर हिन्दू संगठनों में रोष है। उनका कहना है कि इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।
गजरौला टाइम्स ने इस संबंध में लोगों की राय जानी। इसपर लोगों ने डीजे के पक्ष और विपक्ष में अपनी बात कही।
कुछ लोगों ने कहा कि डीजे से नाहक शोर-शराबा होता है। धार्मिक कार्य में डीजे का क्या काम?
जबकि डीजे के समर्थन में भी लोग आये, लेकिन साथ ही यह कहा कि आवाज अधिक न हो और हंगामा न किया जाये।
धार्मिक यात्रा की गरिमा को बनाए रखें
प्राथमिक शिक्षक संघ ब्लॉक धनौरा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह ने कहा,'कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा है और किसी भी धर्म में नहीं लिखा कि व्यक्ति विशेष या समूह द्वारा किसी दूसरे धर्म/सम्प्रदाय की या स्वयं अपने धर्म/सम्प्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए। अतः मेरा व्यक्तिगत विचार यही है कि धार्मिक यात्रा की गरिमा को बनाए रखें जिससे दूसरे धर्मों के सभी लोग आपका सम्मान/स्वागत के लिए तत्पर रहें।’समासेवी सोमवीर सिंह का कहना है,'डीजे बजना चाहिए आराम से जिससे कोई ध्वनि प्रदूषण न हो और शांति बनी रहे।’
शशि चड्ढा ने कहा,'कांवड़ यात्री जब पैदल यात्रा करते हैं, तब डीजे पर भक्ति संगीत सुनने से वे थकान का कम अनुभव करते हैं। इसलिए इसपर प्रतिबंध लगाना बिल्कुल भी सही नहीं है। हां, वे लोग उपद्रव न करें, इसके लिए प्रशासन को सख्त होना ही चाहिए।’
सिद्धार्थ धनोआ का कहना था कि यह अच्छा कदम है। तेज आवाज वाले यंत्र बैन किये जाने चाहिए। यदि आप भगवान में विश्वास करते हैं तो दूसरों को परेशानी में न डालें। आप अपनी अंतर्मन से भगवान को याद कीजिये लेकिन यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे तो कृपया घर में बैठिये। अपने डीजे के साथ जो करना है करिये। कोई समस्या नहीं है।
कुछ दिन भगवान के लिए डीजे बैन क्यों?
वहीं अनमोल चौधरी के विचार में डीजे बजना चाहिए। उनका कहना है,'जब लोग मनोरंजन के लिए डीजे बजा सकते हैं तो साल में कुछ दिन भगवान के लिए डीजे बैन क्यों?’निशीत जोशी ने कहा,'बिल्कुल नहीं बजना चाहिए। कितनों को परेशान कर खुद की तीर्थ यात्रा से पुण्य कैसे मिलेगा। बददुाएं अधिक बटोरेंगे।’
नैपाल सिंह राणा के अनुसार भजन डीजे से नहीं, मन से गाया जाता है।’
राकेश कुमार का कहना था कि ये अपनी-अपनी आस्था है। कोई मुख से भजन करता है तो कोई डीजे पर थिरकता है।
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-टाइम्स न्यूज़.
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