किसानों के लिए नहीं मिल मालिकों के लिए आगे आये मोदी

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किसान नेता स. वीएम सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को किसानों के गन्ने के बकाया भुगतान न होेने पर फटकारा और इसपर मिल मालिकों के खिलाफ स्वयं कार्रवाई की चेतावनी दी तो मोदी सरकार हिल गयी। प्रधानमंत्री ने आननफानन में वित्त, कृषि, खाद्य और पैट्रोलियम मंत्रियों की एक अगस्त को उच्च स्तरीय बैठक बुलायी।

भुगतान न करने वाले मिल मालिकों के साथ ही चीनी विभाग के शीर्ष अधिकारियों तक को किसानों का शीघ्र भुगतान न करने पर कोर्ट ने स्वयं गिरफ्तार कराने की चेतावनी भी दी थी।

किसानों की हमदर्दी का ढोल पीट-पीटकर उन्हें गुमराह करती आ रही सरकार अब फिर यह कहकर उन्हें बहका रही है कि उनके लिए प्रधानमंत्री आगे आये हैं जबकि प्रधानमंत्री मिल मालिकों और उन्हें अबतक बचा रहे उच्च विभागीय अधिकारियों को बचाने के लिए संवेदनशील हुए हैं। यदि किसानों से उन्हें तनिक भी सहानुभूति होती तो साल भर से गन्ने के भुगतान के लिए चीख रहे किसानों को उनका भुगतान दिलाते। अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों का मिलों पर सात हजार करोड़ का बकाया है।

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किसानों के लोहे का क्या हुआ?

लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के तत्कालीन चुनाव प्रचारक और आज के पीएम नरेन्द्र मोदी ने किसानों से स. पटेल की विशाल मूर्ति के लिए लोहे की मांग की थी।

किसानों ने अपने पुराने यंत्रों को उनकी लौह संग्रह समितियों को दिया था। इसमें पुराने खुरपे, हल, हैरो, फावड़े जो भी किसानों के पास था पटेल की मूर्ति के नाम पर नरेन्द्र मोदी के आहवान पर भाजपा नेताओं को दिया था, लेकिन चुनाव जीतने के सवा साल में हमारे पीएम ने एक बार भी पटेल के स्टेच्यू के संबंध में नहीं बोला।

किसान पूछना चाहते हैं कि उनका दिया लोहा कहां गया? और सरदार पटेल क्या चुनाव जीतने तक ही प्रिय थे?

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-टाइम्स न्यूज़.

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