वार्ड-10 में सपा द्वारा वेदपाल सिंह को मैदान में उतारने से यहां त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गयी है। जबकि भाजपा द्वारा उम्मीदवार तय न होने से उसकी स्थिति का पता नहीं चल पा रहा। इस त्रिकोण में वेदपाल सिंह बहुत मजबूत उम्मीदवार दिखाई दे रहे हैं। एक ओर बसपा के भूपेन्द्र सिंह तथा दूसरी ओर अकेली महिला उम्मीदवार पायल चौधरी, वेदपाल सिंह के सामने डटे हैं।
जातीय आधार पर देखा जाये तो वेदपाल और भूपेन्द्र दोनों में सजातीय जाट मतों पर एक जैसी पकड़ लगती है। दोनों ही इनमें से अधिक से अधिक मतों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि वेदपाल के साथ अल्पसंख्यक मुस्लिम और भूपेन्द्र के साथ दलित मतदाता बैलेंस मतदाताओं के रुप में ठोस समर्थन मौजूद हैं।
सपा की सत्ता का लाभ भी वेदपाल के पक्ष में जा रहा है। सपा के दिग्गज बसपा उम्मीदवार को पराजित करने का भरसक प्रयास करेंगे। इसलिए वेदपाल सिंह इस समय यहां बहुत ही दमदार उम्मीदवार दिखाई दे रहे हैं। जबतक सपा उम्मीदवार मैदान में नहीं आया था तबतक अंशु नागपाल के हटने से भूपेन्द्र सिंह का शोर जरुर बढ़ गया था लेकिन जमीनी हकीकत वार्ड में घूमने पर पता चलती है। वेदपाल सिंह का दबदबा भी इस वार्ड के गांवों में काफी मजबूत है।
उधर निर्दलीय उम्मीदवार पायल चौधरी भले ही संसाधनों के अभाव के कारण बड़ी सभायें नहीं कर पा रही लेकिन अकेली महिला उम्मीदवार होने का उनका तर्क अंदरखाने महिलाओं पर भावनात्मक प्रभाव डाल रहा है। वातावरण त्रिकोणात्मक है जिसमें फिलहाल वेदपाल सिंह की यहां जोरदार एंट्री हुई है। भाजपा तथा किसी अन्य उम्मीदवार के आने के बाद स्थिति क्या होगी? यह आने वाला समय बतायेगा। चुनाव कोई भी करवट ले सकता है।
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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.