पिछड़ा वर्ग के स्वयंभू नेता जाफर मलिक तीसरी बार भी चुनावी मैदान में उतरते ही हार गये। वे जिला पंचायत के लगातार तीन चुनावों में मजबूत तैयारियों के बावजूद मैदान से बाहर होने को बाध्य हुए हैं। पहली बार 2005 के चुनाव में वे वार्ड 9 से चुनावी तैयारी कर चुके थे लेकिन उसी दौरान वार्ड एस.सी. आरक्षित हो गया। वे चुनाव नहीं लड़ सके।
2010 में फिर से वे तैयारी करने लगे लेकिन प्रतिद्वंदी उमर फारुख की मजबूत हालत को समझ कर मैदान छोड़ना पड़ा। इस बार नये परिसीमन में तीसरी बार उन्होंने वार्ड 11 से तैयारी शुरु की। प्रचार और सभायें शुरु कीं तो फिर वार्ड एस.सी. में आने की खबर ने उन्हें बुखार चढ़ा दिया।
बेचारे जाफर फिर लड़ाई शुरु होने से पहले ही मैदान से बाहर हो गये।
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—टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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