वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव से दुश्वारियां बढ़ीं

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गजरौला में ब्रिज निर्माण मार्ग के दोनों ओर की सड़कों के किनारे बनी दुकानों का काम मन्द जरुर हुआ है लेकिन बन्द नहीं है। साथ ही यहां आवागमन भी जारी है। जिन मोहल्लों में यहीं से अन्दर-बाहर जाने के मार्ग हैं। वे पुल के किनारे बची सड़क की कच्ची जगह से होकर गुजर रहे हैं। पुल के दोनों ओर एकदम स्थानीय यातायात के लिए पक्की सड़क बननी चाहिए थी।
   
इस राह में एक और मुसीबत है। इस संकरे और तंग रास्ते में अभी कई विद्युत ट्रांसफॉर्मर अभी भी जमीन पर रखे हैं, जिन्हें बिजली वाले पता नहीं कब हटवायेंगे, अथवा हटवायेंगे भी या नहीं। बिजलीघर की चाहरदीवारी और पुल के बीच के खाली रास्ते में दूर तक बागड़ी जाति के लोहार अपना घर और धंधा जमाये बैठे हैं। इनके विस्थापन की ओर भी किसी का ध्यान नहीं। यहां से गुजरने में बड़ा मुश्किल है।

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लोक निर्माण विभाग, पालिका परिषद, बागड़ी तथा अतिक्रमण से यातायात ठप्प हो गया है.

फाटक के पास तथा शिवालिक पेपर मिल से सटे क्षेत्र में रास्ते के निकट मांस विक्रेताओं की दर्जनों दुकानें रास्ते में ही हैं। जहां से गुजरना मुश्किल है। मुर्गों के अवशेष गंदगी और दुर्गंध पैदा कर रहे हैं। नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग जानबूझकर यहां जरा सा भी हस्तक्षेप नहीं करता।
   
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जो जगह बचती हैं वहां कई दुकानदारों ने पुल के लगभग पास तथा कहीं-कहीं उसके नीचे तक लगाकर पुल के पास निकलने हेतु बने मार्ग को पगडंडी जैसी हालत में पहुंचा दिया। यहां रिक्शा या अन्य वाहन भी नहीं गुजर सकता। पुल के नीचे उसके दायें-बायें बची इस राह के तमाम अवरोध हटने जरुरी हैं। इससे लोगों के आवागमन में राहत होगी और दुकानदारों के कारोबार में भी कुछ न कुछ इजाफा होगा। लेकिन यह होगा कैसे? इसी सवाल के जबाव की दरकार है।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.

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