इ.ओ. ने बोर्ड की सहमति के बिना भूखंड आवंटित कर दिया

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नगर पालिका परिषद की सहमति के बिना इ.ओ. कामिल पाशा ने भूमि के एक विवादित टुकड़े को आसरा योजना में गरीबों के लिए आवंटित कर उसपर निर्माण की स्वीकृति दे दी। भूमि पर आधी सदी से कब्जे का दावा करने वाले व्यक्ति तथा उसके समर्थकों ने जब इसका विरोध किया तो बात खुल गयी। जिसपर पालिकाध्यक्ष हरपाल सिंह और तमाम सभासद भी इ.ओ. के फैसले के खिलाफ मैदान में आ गये। चेयरमेन ने इ.ओ. से इस संबंध में जवाब तलब किया और लिपिक चमन सिंह को इ.ओ. ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

इ.ओ. कामिल पाशा और लिपिक चमन सिंह पहले तो कह रहे थे कि आसरा योजना के लिए भूमि देने के लिए  पालिका बोर्ड का प्रस्ताव पारित हुआ था। जबकि तमाम सभासदों ने इससे इंकार किया और हरपाल सिंह ने भी कहा कि उनके सामने कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। बाद में इ.ओ. और लिपिक ने बयान बदला और कहा कि उनके पास डीएम का आदेश आया था, जिसपर यह भूमि आसरा के निर्माण हेतु एक एनजीओ को दे दी गयी।

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दोनों अलग-अलग बयानों से सभासदों और चेयरमेन का पारा चढ़ गया तथा कई सभासद इ.ओ. पर ठेकेदार से मोटी रिश्वत लेने का आरोप लगाया। पालिका कार्यालय में इसे लेकर वार्ड-एक के सैकड़ों लोग भी भूमि पर कब्जा जमाये बैठे भगत शिवस्वरुप और उसकी पत्नि रेखा के पक्ष में आकर इ.ओ. तथा चेयरमेन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इ.ओ. ने सबके सामने स्वीकार किया कि उसने अकेले ही सारे पैसे नहीं लिए, दूसरे  लोगों ने भी पैसे लिए हैं। लेकिन इ.ओ. ने यह नहीं बताया कि दूसरे लोग कौन हैं? इस प्रकरण पर सभासदों और इ.ओ. में गाली गलौच भी हुई। कुछ लोगों ने बीच में पड़कर किसी तरह मामला शांत कराया। चेयरमेन ने मौजूद दलित समुदाय के लोगों को यह कहकर शांत किया कि उनकी जमीन नहीं छीनी जायेगी। ये लोग भूखंड पर इकट्ठा हो गये थे। जहां से पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया था।

अगले दिन यानि गुरुवार को पालिका परिषद की बैठक आयोजित कर बोर्ड ने एकमत से भूमि आवंटन का कथित प्रस्ताव रद्द कर उसकी प्रति शासन को भिजवा दी। यह जानकारी इ.ओ. ने दी है। उधर निर्माण कर्य बंद करा दिया है। एक एनजीओ ने आसरा के फ्लैट निर्माण का काम विवादित भूखंड पर शुरु कर दिया था। यह समाचार लिखे जाने तक लिपिक चमन सिंह निलंबित था तथा इस प्रकरण की चेयरमेन ने जांच कमेटी बनाकर जांच की बात कही है। जांच के बाद यदि इ.ओ. दोषी पाया गया तो इ.ओ. के खिलाफ भी कार्रवाई संभव है।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.

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