सरकारी बंगला विवाद पूरी तरह थमा नहीं है। लेकिन उसे खामोश करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने सरकार पर उठने वाले सवालों का बचाव किया है। कहा गया है कि पहले भी सुरक्षा कारणों से गैर-सांसदों को आवास दिये गये हैं।
शहरी विकास मंत्रालय ने एक सूची जारी की है जिसमें प्रियंका गांधी, केपीएस गिल, एम.एस. बिट्टा, अश्विनी कुमार आदि का जिक्र किया गया है।
जून 1996 में कांग्रेस के नेता मनिन्दर जीत सिंह बिट्टा को आवास आवंटित हुआ था। वहीं सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी को फरवरी 1997 में सरकारी बंगला आवंटित किया गया था।
सुरक्षा आधार पर बूटा सिंह को फरवरी 2006 में बंगला दिया गया। पंजाब केसरी के सम्पादक अश्विनी कुमार को जून 1998 में सरकारी अवास मिला जिसे उन्होंने 2012 में खाली कर दिया था।
कांग्रेस के नेता जगदीश टाइटलर को दिसम्बर 2006 में आवास दिया गया जिसे उन्होंने 2015 में खाली कर दिया। पंजाब के पूर्व पुलिस प्रमुख रहे केपीएस गिल को 1996 के अप्रैल माह में आवास आवंटित हुआ था।
कई लोगों ने आवास बाद में खाली कर दिये, जबकि कई अभी भी उनमें रह रहे हैं।
कांग्रेस ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी पर आरोप लगाया था कि उन्हें हाल में जो सरकारी आवास और सुरक्षा मुहैया करायी गयी है उसके पीछे उनका गांधी परिवार के खिलाफ अदालती मुहिम चलाना है।
स्वामी ने मुस्कराते हुए बाद में सफाई दी थी कि उनका पहला आवास छोटा था। सुरक्षा कारणों की वजह से उन्हें सरकारी आवास दिया गया है।
-टाइम्स न्यूज़ ब्यूरो नई दिल्ली.
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