अशफाक की मंजिल आसां नहीं इस बार

सपा विधायक अशफाक अली खां

नौगांवा विधानसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखना सपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। सपा विधायक अशफाक अली खां को यदि पार्टी ने इस बार भी उम्मीदवार बनाया तो यह सीट सपा के खाते से बेदखल होनी और भी आसान है।

अभी केवल बसपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है तथा भाजपा से चेतन चौहान की चरचायें चल रही हैं। रालोद शूरवीर सिंह को मैदान में ला सकता है। कांग्रेस का यहां कोई वजूद नहीं। यहां खास मुकाबला बसपा, सपा और भाजपा में ही रहेगा।

नये विधानसभा क्षेत्र के रुप में गत चुनाव में अस्तित्व में आयी इस सीट पर सपा के अशफाक खां बसपा विरोधी और सपा समर्थित लहर में बड़ी मुश्किल से जीत पाये थे। उस समय वे एक ऐसी घोषणा भी कर गये थे जो उनके लिए तो क्या किसी बड़े नेता के लिए भी पूरी करानी नामुमकिन थी।

नौगांवा नगर पंचायत को उन्होंने जीतते ही नयी तहसील बनवाने का वादा किया था। जो अभी तक पूरा नहीं हुआ, और न ही वे उसे अपने कार्यकाल में पूरा करा सकते हैं।

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वैसे भी यह वादा पूरा होने का कोई आधार ही नहीं है। अबतक किसी विकास क्षेत्र समिति मुख्यालय वाले स्थान को तहसील बनाया जाता है। साथ ही उस तहसील में कम से कम एक विकास खंड और भी होना चाहिए।

नौगांवा सादात न तो स्वयं विकास खंड है और न ही पूरे इस विधानसभा में एक भी विकास खंड है। यदि नौगांवा को तहसील बनाया जायेगा तो यहां उसके अधीन कम से कम दो विकास खंड तो होने ही चाहिएं। यहां एक भी नहीं। इसी के साथ अमरोहा जिले की कुल तीनों तहसीलें दो-दो विकास खंडों के क्षेत्र पर बनी हैं।

साफ है उनमें से किसी भी से विकास खंड नहीं काटा जा सकता है। यदि विधानसभा क्षेत्र में पहले दो विकास खंड बनाये जायें, उसके बाद तहसील बनाने का आधारभूत ढांचे का प्रस्ताव शासन को भेजा जाये तो बात बन सकती है, लेकिन यह भी आसान नहीं है। बिना सोचे समझे यह घोषणा करके अशफाक खां ने बिना बुलाई मुसीबत ले ली।

तहसील तो क्या विकास खंड कार्यालय भी न बनने से नौगांवा तथा उसके आसपास के लोग विधायक पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर उनके खिलाफ होते जा रहे हैं।

दूसरी ओर रजबपुर के पास के अनेक गांवों में लोग उनसे इसलिए खिलाफ हैं कि खां उनकी मंशा के खिलाफ उन्हें अमरोहा से हटाकर नौगांवा में शामिल कराने की कोशिश कर रहे थे।

हाल ही में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर सकीना बेगम के खिलाफ रेनू चौधरी का पक्ष लेने के कारण अल्पसंख्यक मतदाताओं में उनके खिलाफ रोष है, जबकि बीते चुनाव में उन्हें उनका अच्छा समर्थन मिला था। भले ही सपा ने जाट बिरादरी से जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया है लेकिन उनके साथ सपा से अधिक बसपा उम्मीदवार रहे हैं। साथ ही यहां से बसपा ने जाट उम्मीदवार जयदेव सिंह को मैदान में उतारा है। इससे इस बार खां को इस बिरादरी का समर्थन नहीं मिलने वाला।

जयदेव सिंह अमरोहा ब्लॉक से जिले के एकमात्र बसपा ब्लॉक प्रमुख हैं तथा उनका सभी वर्गों में मजबूत असर है। ऐसे में इस बार अशफाक खां को इस बिरादरी के वे वोट भी नहीं मिलेंगे, जिनके सहारे वे विजयी होने में सफल रहे।

मौजूदा हालात किसी भी प्रकार अशफाक खां के हक में दिखाई नहीं दे रहे। हां, यदि पार्टी किसी दूसरे उम्मीदवार को लाती है तो यह उसके राजनैतिक वजूद और स्थानीय जन समर्थन से आंका जाना बेहतर होगा।

-जी.एस. चाहल.