क्या करे मजबूर किसान, गन्ना जलाये या करे प्रदर्शन?

क्या-करे-मजबूर-किसान-गन्ना-जलाये-या-करे-प्रदर्शन?

किसानों की नाराजगी जाहिर है। उन्हें किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी जा रही बल्कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कहीं उन्हें समय से बिजली नहीं दी जा रही तो कहीं तौल बंद हो रही है। इससे किसान नाराज हैं। वे अपनी तरह से इसका विरोध भी कर रहे हैं। इतना होने के बाद भी सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिल रहा।

रजबपुर के गन्ना खरीद केन्द्र पर पिछले कुछ दिनों से तौल बंद थी। किसानों ने कई बार गन्ना अधिकारियों से कहा भी कि तौल शुरु करवाई जाये। उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी। गुस्साये किसानों को मजबूरी में गन्ने की होली जलानी पड़ी।

किसान बेचारा परेशान है। पहले से ही सरकारें उसके साथ बहुत भेदभाव करती रही हैं।

चीनी मिल समय से नहीं चले। उससे पहले उसका पुराना गन्ना मूल्य भुगतान नहीं हुआ। साथ ही उसके गन्ने का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा।


किसान की समस्या है बिजली

किसान को उसपर बिजली की समस्या ने भी परेशान कर रखा है। बिजली न होने से सिंचाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है। अब फसल पर संकट मंडरा रहा है।

किसान हारकर अपना विरोध करता है। वह नारेबाजी करता है। इससे ज्यादा वह कर भी क्या सकता है। किसान को परेशान करने के हथकंडे सरकारें पहले भी अपनाती रही हैं।

उसे केन्द्र सरकार से बहुत उम्मीदें थीं वह तो धराशायी हो गयी हैं। राज्य सरकारें भी किसान की ओर कोई तबज्जो नहीं दे रहीं।

-मोहित सिंह.