भारतीय जनता पार्टी का जिलाध्यक्ष घोषित होने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में कलह और बढ़ गयी। शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से जिले के भाजपाईयों में असंतोष है। सांसद और जिलाध्यक्ष एक ही जाति के होने से दूसरी जातियों के लोग नाराज हैं। दो सौ सक्रिय सदस्य तो इतने नाराज हो गये हैं कि उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी। उन्होंने जिले में भाजपा को 'गुर्जर पार्टी’ नाम दिया है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भी स्थानीय कार्यकर्ताओं की मंशा को दरनकिनार करते हुए गुर्जर बिरादरी के कंवर सिंह तंवर को उम्मीदवार बना दिया गया। मोदी लहर में तंवर जीत गये थे।
अब जिलाध्यक्ष पर विवाद के चलते हुए प्रदेश नेतृत्व ने दूसरे गुर्जर ऋषिपाल नागर को यह पद दे दिया। एक बिरादरी को दो महत्वपूर्ण पद देने से कार्यकर्ताओं में असंतोष भड़क उठा। दो सौ कार्यकर्ता तो इतने नाराज हुए कि उन्होंने तुरंत त्याग पत्र दे दिया।
ध्यान रहे जिले में जाट, चौहान, खड़गवंशी, सैनी, जाटव, अग्रवाल तथा अन्य वर्ग गुर्जरों से अधिक संख्या में हैं। इनमें से किसी को भी जिला अध्यक्ष पद दिया जाता तो न्यायिक होता। प्रदेश नेतृत्व का यह फैसला भाजपा के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा।