यह बार-बार सिद्ध हो चुका कि अमरोहा के किसान अपनी जायज मांगों के लिए तन, मन, धन से संघर्ष में आगे रहे हैं। चाहें टिकैत के नेतृत्व में रजबपुर आंदोलन हो या जाट आरक्षण के मामले में काफूरपुर में यशपाल मलिक के नेतृत्व में आंदोलन।
वीएम सिंह भी अपने आंदोलन को यहीं से धार देने में जुटे हैं। अब हरपाल सिंह भी बिलारी से चलकर यहीं आये हैं।
सत्ता की भूख में बिखरती भारतीय किसान यूनियन
नेता दूसरे क्षेत्रों के और कार्यकर्ता अमरोहा के। यहां के वृद्ध, स्त्री, बच्चे और युवा सभी इन आंदोलनों में बराबर के भागीदार रहे हैं।देश की सेना में भी यहां के लोगों की बड़ी भागीदारी है। किसान नेताओं को यह भी विचार करना चाहिए कि सारा दायित्व एक ही क्षेत्र के लोगों पर थोपना क्या न्योयोचित है?